नई दिल्ली। भारत में गोल्ड का बाजार बेहद ही चमकीला है। यहां हर साल 800 टन गोल्ड की खरीदी होती है। जबकि भारत देश गोल्ड खपत में दूसरे नंबर पर है। सोना पहनना और इसमें निवेश करना दोनों भारतीयों की पसंद है। पड़ोसी देश चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर गोल्ड की सबसे ज्यादा खपत भारत में होती है। लेकिन, हैरानी की बात है कि हमारे यहां जितनी सोने की मांग होती है उसकी तुलना में उत्पादन ना के बराबर होता है। भारत में हर साल लोग 800 टन सोना खरीद लेते हैं जबकि देश में स्थित खदानों से सिर्फ 1 टन गोल्ड निकलता है। ऐसे में 799 टन गोल्ड आयात किया जाता है यानी बाहर से मंगाया जाता है। बीते 6 वर्षों में भारत में सोने की खपत लगातार बढ़ी है, जो 666 टन से लेकर 799 टन तक पहुंच गई। सिर्फ कोरोना महामारी के समय साल 2020 में गोल्ड की खपत 445 टन रही। खास बात है कि आजादी के बाद पिछले 76 वर्षों में सोने का भाव 89 रुपये से लेकर 59,000 रुपये पहुंच गया, लेकिन इसकी मांग में कोई कमी नहीं रही। हालांकि दुनिया में गोल्ड रिजर्व के मामले में अमेरिका नंबर वन है, क्योंकि अमेरिकी सरकार के खजाने में 8,133 टन सोना है, जबकि भारत के पास 797 टन गोल्ड रिजर्व है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीयों के पास 2019 में 25,000 टन से ज्यादा गोल्ड था। यानी अमेरिका के सरकारी खजाने से करीब 3 गुना ज्यादा सोना हमारे घरों में रखा है। भारतीयों के पास रखे सोने की कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। भारत में हर साल 800 टन सोने की खपत होती है जिसकी भारतीय रुपयों में यह रकम 36,60,67,10,26,639 खरब रुपये होती है। भारत में सोने में निवेश के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोग अपनी बचत का सिर्फ 5 प्रतिशत ही बैंक स्कीम या अन्य योजनाओं में लगाते हैं, बाकी पैसा गोल्ड में इन्वेस्ट करते हैं। देश में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा लोग कुल निवेश का 28.3 प्रतिशत हिस्सा गोल्ड में लगाते हैं। बता दें कि भारत सोने का आयात स्विट्जरलैंड, यूएई और दक्षिण अफ्रीका से करता है। भारतीयों के पास कुल सोने में करीब 80 प्रतिशत हिस्सा गहनों का है। वहीं, भारत के मंदिरों में ढाई हजार टन गोल्ड है। केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर में 1300 टन सोना होने का अनुमान है। आंध्रप्रदेश के तिरुपति मंदिर के पास 250 से 300 टन सोना है। यहां हर महीने 100 किलो सोना चढ़ावे के तौर पर आता है।
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