थायराइड का जोखिम कम करने में मदद कर सकते हैं ये 5 योगासन, ऐसे करें अभ्यास

थायराइड की समस्याएं आमतौर पर 2 भागों में विभाजित हैं। इसमें एक हाइपोथायरायडिज्म है, जिसमें अपर्याप्त थायराइड हार्मोन बनता है और दूसरी हाइपरथायरायडिज्म है, जिसमें अत्यधिक थायराइड हार्मोन बनता है। इसके अतिरिक्त पुरुषों की तुलना में महिलाएं इन समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताते हैं, जिनका नियमित अभ्यास थायराइड के जोखिम कम करने में मदद कर सकते हैं।उष्ट्रासन उष्ट्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं, फिर घुटनों के बल ही खड़े हो जाएं। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम 1-2 मिनट रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और कुछ मिनट आराम करें।हलासन सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं, फिर हाथों को शरीर से सटाकर रखें। अब सांस लेते हुए पैरों को 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए टांगों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर से पीछे की ओर ले जाएं। इस दौरान हाथों को जमीन पर सीधा ही रखें।इसके बाद सांस लेते हुए धीरे-धीरे वापस प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।पश्चिमोत्तानासन अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी पश्चिमोत्तानासन के लिए योगा मैट पर दोनों पैरों को सटाकर और आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं।अब दोनों हाथ ऊपर की ओर उठाएं, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और माथे को घुटनों से सटाते हुए हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयास करें। कुछ सेकंड के लिए इसी अवस्था में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें, फिर गहरी सांस लेते हुए सामान्य हो जाएं।जानुशीर्षासन इसके लिए सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब दाएं घुटने को मोड़ते हुए बाईं जांघ के सहारे लगा लें।इसके बाद अपने शरीर को आगे की तरफ झुकाएं और बाएं पैर के अंगूठे को दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश करें। इसी मुद्रा में आप अपने सिर को घुटनों से छूने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर से भी दोहराएं।भुजंगासन सबसे पहले हाथों को अपने कंधों के नीचे रखकर योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब हाथों से दबाव देते हुए अपने शरीर को जहां तक संभव हो सके, उठाने की कोशिश करें। इस दौरान सामान्य तरीके से सांस लेते रहें। इसके बाद कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और फिर इस योगासन को दोहराएं।