नई शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन किया जाए- डॉ. भूषण

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज एवं समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण केन्द्र सी०आर०सी० लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को राष्ट्रीय वेबीनार ‘विशेष शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२०’ पर आयोजित किया गया। वेबीनार के मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता डॉ० भूषण पुनानी, अध्यक्ष, आई०सी०ई०वी०आई०, वेस्ट एशिया, अहमदाबाद, गुजरात ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुणवत्तापरक नीति है, जो सभी को सक्षमता व सबलता प्रदान करने योग्य है। इसके सफल क्रियान्वयन किये जाने की आवश्यकता है।उन्होंने विशेष शिक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिन्दुओं की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हमें शिक्षा के माध्यम से समाज के सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी शिक्षित करना होगा। समाज में समावेशन की दिशा को सुदृढ़ता प्रदान करनी होगी। उन्होंने कहा कि समाज में समावेशी अधिगम वातावरण का निर्माण करना होगा, जिसमें सभी अपनी भूमिका को सहज रूप से स्थापित करने में सक्षम हो जायें। इसके लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ई०सी०सी०ई० पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रारम्भिक भाषा साक्षरता एवं गणितीय योग्यता को बढ़ाना होगा। छोटे बच्चों के प्रारम्भिक कक्षा को मजबूत करना होगा तथा उनके विकास पर हमेशा नजर बनाये रखना होगा। उनके लिखने पढ़ने तथा शारीरिक गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान रखना पड़ेगा तथा निरन्तर स्वास्थ्य परीक्षण करते हुये उन्हें शिक्षा में जोड़ने का प्रयास करना चाहिये। यदि किसी प्रकार की अक्षमता नजर आ रही है तो उसकी शीघ्र जांच कर उसके समाधान की ओर बढना चाहिये। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लिखित आंगनबाड़ी कार्यकर्ती के कार्य को भी विस्तार देने की आवश्यकता है तथा उन्हें प्रशिक्षण देकर शीघ्र पहचान एवं समाधान का प्रशिक्षण प्राप्त कराना चाहिये जिससे वे बच्चों को स्कूल जाने हेतु तैयार कर सकें। इसमें बच्चों के माता पिता का भी महत्वपूर्ण योगदान होना चाहिये।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रोफेसर सीमा सिंह, कुलपति, उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति दिल से बनाई गयी है तथा शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी गयी है। यदि उस पर सफल क्रियान्वयन हो जाये तो निश्चित रूप से शिक्षा के माध्यम से समाज में सबलता आयेगी। उन्होंने कहा कि विशेष शिक्षक के साथ सामान्य शिक्षक को भी दिव्यांगजनों के शिक्षण की सामान्य जानकारी का प्रशिक्षण देना चाहिये। जिससे वे बच्चों की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें। समावेशी शिक्षा पर ध्यान दिलाते हुए हुए कहा कि सभी के लिये शिक्षा का मतलब समाज के पिछ॰डे, दिव्यांग महिला इत्यादि जो समाज की मुख्यधारा से अलग है, उनकी भी शिक्षा की बात कही गयी है।कार्यक्रम का संचालन डॉ० नीता मिश्रा ने तथा अतिथियों का स्वागत प्रो० पी०के० पाण्डेय ने किया। विषय प्रवर्तन रमेश पाण्डेय द्वारा किया गया। अतिथियों का परिचय आयोजन सचिव परविन्द कुमार वर्मा तथा सह-आयोजन सचिव राजमणि पाल द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन नागेश पाण्डेय, सी०आर०सी०, लखनऊ द्वारा किया गया। राष्ट्रीय वेबीनार में भारत के अनेक राज्यों से लगभग ५०० प्रतिभागी यथा गूगलमीट, यू-टयूब चैनल तथा फेसबुक के माध्यम से ज्ञान अर्जन किये।