काला नमक चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की मांग

सिद्धार्थनगर। पूर्व डीजीपी तथा राज्यसभा सांसद बृजलाल ने काला नमक धान और उसके चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की मांग केंद्र सरकार से की है। उन्होंने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयुष गोयल से मिलकर इस बाबत पत्र सौंपा है।

काला नमक धान उत्पादक जिला सिद्धार्थनगर का होने के नाते बृजलाल काला नमक धान के बेहतरी के लिए सदैव प्रयासरत हैं।

बता दें कि चावल की बढ़ती क़ीमतों पर नियंत्रण रखने के संबंध में भारत सरकार द्वारा ग़ैर- बासमती चावलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके प्रतिबंध के जल में काला नमक धान और चावल भी है। “कालानमक” चावल जीआई टैग चावल है। बृजलाल का कहना है कि कालानमक चावल का पहले से भी निर्यात होता रहा है। पिछले वर्षों में यह चावल सिंगापुर, नेपाल और कुछ दक्षिणी एशियाई देशों को भेजा गया था। इस बार भी सिंगापुर और कुछ अन्य देशों में कालानमक चावल की काफ़ी माँग है। भगवान बुद्ध से जुड़ा होने के कारण बौद्ध- धर्म के अनुवाई देश इस चावल को काफ़ी पसंद करते हैं, क्योंकि उनके लिए यह केवल चावल ही नहीं अपितु भगवान बुद्ध का “महाप्रसाद” भी है।

    काला नमक दुनिया का सबसे पौष्टिक चावल है। इसमें बासमती से दो गुना प्रोटीन,तीन गुना आयरन और चार गुना जिंक है। यह शुगर- फ्री है जिससे मधुमेह से पीड़ित लोग भी यह चावल खा सकते हैं। कालानमक का ग्लाइसैमिक इंडेक्स 49-52 प्रतिशत है जबकि अन्य चावलों का 85% है।दुनिया में केवल कालानमक चावल में विटामिन ए है। इसका अमाईलोज़ 18% है , जबकि बासमती चावल का अमाईलोज 24% है। अमाईलोज कम होने के कारण पकने के बाद ठंडा होने पर भी कालानमक का चावल मुलायम रहता है, जब कि बासमती का चावल ठंडा होने पर कड़ा हो जाता है। ख़ुशबू में भी  कालानमक के आगे बासमती कही नहीं ठहरती।

     बृजलाल ने केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है, कि कालानमक चावल सहित देश के अन्य स्पेशिलिटी राइस से निर्यात का प्रतिबंध हटाया जाय जिससे देश के उन किसानों को निर्यात का लाभ मिल सके जो स्पेशिलिटी राइस पैदा करते हैं और जीआई टैग प्राप्त है। इसमें उत्तर प्रदेश का “कालानमक” “ आदम चीनी” बिहार का कतरनी, बंगाल का जूही, गोविंदभोग, आसाम का जोहा सहित देश के अन्य प्रांतों केरल, उड़ीसा , महाराष्ट्र के स्पेशिलिटी राइस भी सम्मिलित हैं।

  वे कहते हैं कि अभी तक चावल का वर्गीकरण केवल दो श्रेणी, बासमती और नान- बासमती में किया जाता है। प्रतिबंध लगने के कारण कालानमक और जीआई टैग अन्य स्पेशलिटी राइस भी निर्यात से प्रतिबंधित हो गये।

   उन्होंने भारत सरकार को सुझाव दिया है कि देश के चावलों का वर्गीकरण दो नहीं बल्कि तीन श्रेणी बासमती, स्पेशिलिटी और कॉमन राइस में किया जाय, जिससे स्पेशलिटी राइस निर्यात के प्रतिबंध से मुक्त हो सके।