पारंपरिक चिकित्सा पर डब्ल्यूएचओ का पहला वैश्विक सम्मेलन

नयी दिल्ली।केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने गुरुवार को कहा कि प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को अपनाकर “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” को बढ़ावा देते हुए स्वास्थ्य संबंधी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम कर सकते हैं।श्री मांडविया ने गुजरात के गांधीनगर में कहा कि सदियों से, पारंपरिक और पूरक चिकित्सा ने व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधुनिक समय में भी, प्राकृतिक और हर्बल-आधारित फार्मास्यूटिकल्स और सौंदर्य प्रसाधनों की मांग पारंपरिक उपचार पद्धतियों के स्थायी महत्व को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि यह वैश्विक शिखर सम्मेलन पारंपरिक और पूरक चिकित्सा के क्षेत्र में संवाद, विचार विनिमय, सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी के लिए एक अनूठा मंच है।उद्घाटन समारोह में आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि यह सीमाओं से परे जाता है, स्वास्थ्य देखभाल के भविष्य के लिए दिमाग को एकजुट करता है, और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिखर सम्मेलन पारंपरिक दवाओं में सहयोग और नवाचार के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेगा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करने में मदद करेगा।विश्व स्वास्थ्य संगठन के महासचिव डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने पारंपरिक दवाओं और पर्यावरण के बीच संबंध पर जोर दिया और कहा कि पारंपरिक चिकित्सा उतनी ही पुरानी है जितनी मानवता, सभी देशों के लोगों ने अपने जीवन में किसी न किसी बिंदु पर पारंपरिक उपचार पद्धतियों का उपयोग किया है।