नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बरसात के समय में लोगों को पेड़ लगाने और पानी बचाने का आग्रह किया है।श्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि जुलाई का महीना यानि मानसून का महीना, बारिश का महीना है । बीते कुछ दिन, प्राकृतिक आपदाओं के कारण, चिंता और परेशानी से भरे रहे हैं। यमुना समेत कई नदियों में बाढ़ से कई इलाकों में लोगों को तकलीफ उठानी पड़ी है। पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की घटनाएँ भी हुई हैं। इसी दौरान, देश के पश्चिमी हिस्से में, कुछ समय पूर्व गुजरात के इलाकों में, बिपरजॉय साइकिलों भी आया। लेकिन साथियो, इन आपदाओं के बीच, हम सब देशवासियों ने फिर दिखाया है, कि, सामूहिक प्रयास की ताकत क्या होती है। स्थानीय लोगों ने, हमारे एन डी आर एफ के जवानों ने, स्थानीय प्रशासन के लोगों ने, दिन-रात लगाकर ऐसी आपदाओं का मुकाबला किया है। किसी भी आपदा से निपटने में हमारे सामर्थ्य और संसाधनों की भूमिका बड़ी होती है – लेकिन इसके साथ ही, हमारी संवेदनशीलता और एक दूसरे का हाथ थामने की भावना, उतनी ही अहम होती है। सर्वजन हिताय की यही भावना भारत की पहचान भी है और भारत की ताकत भी है।उन्होंने कहा कि बारिश का यही समय ‘वृक्षारोपण’ और ‘जल संरक्षण’ के लिए भी उतना ही जरुरी होता है। आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान बने 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों में भी रौनक बढ़ गई है। अभी 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवरों को बनाने का काम चल भी रहा है। हमारे देशवासी पूरी जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ ‘जल संरक्षण’ के लिए नए-नए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि,, मैं, एम.पी. के शहडोल गया था। वहाँ मेरी मुलाकात पकरिया गाँव के आदिवासी भाई-बहनों से हुई थी। वहीं पर मेरी उनसे प्रकृति और पानी को बचाने के लिए भी चर्चा हुई थी। अभी मुझे पता चला है कि पकरिया गाँव के आदिवासी भाई-बहनों ने इसे लेकर काम भी शुरू कर दिया है। यहाँ, प्रशासन की मदद से, लोगों ने, करीब सौ कुओं को वाटर रिचार्ज सिस्टम में बदल दिया है। बारिश का पानी, अब इन कुओं में जाता है, और कुओं से ये पानी, जमीन के अंदर चला जाता है। इससे इलाके में भू-जल स्तर भी धीरे-धीरे सुधरेगा। अब सभी गाँव वालों ने पूरे क्षेत्र के करीब-करीब 800 कुएं को रिचार्ज के लिए उपयोग में लाने का लक्ष्य बनाया है। ऐसी ही एक उत्साहवर्धक खबर यू.पी. से आई है। कुछ दिन पहले, उत्तर प्रदेश में, एक दिन में, 30 करोड़ पेड़ लगाने का रिकॉर्ड बनाया गया है। इस अभियान की शुरुआत राज्य सरकार ने की, उसे, पूरा, वहाँ के लोगों ने किया। ऐसे प्रयास जन-भागीदारी के साथ-साथ जन-जागरण के भी बड़े उदाहरण हैं। मैं चाहूँगा कि, हम सब भी, पेड़ लगाने और पानी बचाने के इन प्रयासों का हिस्सा बनें।,,
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