कौशाम्बी।स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के बार-बार निर्देश के बाद भी कौशांबी जिला की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं सुधर रही है सरकारी अस्पतालों के लापरवाह चिकित्सक सुधारने को तैयार नहीं है बीते कई वर्षों से बिना काम के वेतन ले रहे चिकित्सक अब निजी नर्सिंग होम छोड़कर सरकारी अस्पताल नहीं जाना चाहते हैं जिससे सरकारी अस्पतालों की स्थिति बदतर है मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है कई कई घंटे सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए मरीज इंतजार करते हैं मरीज तड़पते रहते हैं उन्हें देखने वाला कोई नहीं है शिकायत के बाद भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी मामले को संज्ञान नहीं ले रहे हैं आखिर ड्यूटी ना देने वाले चिकित्सकों से मुख्य चिकित्सा अधिकारी के क्या रिश्ते हैं इस पर भी स्वास्थ्य मंत्री जांच कर कार्यवाही नहीं कर सके हैं।सरकारी अस्पतालों की चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत जानने के लिए शुक्रवार को जब कुछ सरकारी अस्पतालों का जायजा लिया गया तो देखा गया कि मूरतगंज ब्लॉक क्षेत्र के अंतर्गत समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आलमचन्द में दोपहर के 11:00 बजे तक एक भी डॉक्टर नहीं पहुंचे हैं कुछ स्वास्थ्य कर्मी को छोड़कर अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी अस्पताल से गायब थे मरीज डॉक्टर के इंतजार में अस्पताल में घंटो बैठे थे लेकिन उनका इलाज नहीं हो सका है जिससे मजबूर मरीज अकुशल अनट्रेंड झोलाछाप क्लीनिक में इलाज कराने को विवश हैं।सरकारी अस्पताल में करोड़ों रुपए सालाना खर्च किए जाने के बाद अस्पताल की दुर्दशा पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी गंभीर नहीं है आखिर ऐसे सरकारी अस्पताल खोलने का क्या मतलब है जिन अस्पतालों में डॉक्टर ना रहे मरीजों का इलाज ना हो सके इस तरह के सरकारी अस्पतालों को बंद करके सरकारी खजाने को बचाया जाना ही सरकार के लिए उचित माध्यम होगा जिले के तमाम ऐसे सरकारी अस्पताल है जहां समय से डॉक्टर नही आते है शुक्रवार को भी दिन में 11:00 बजे तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आलम चन्द्र में डॉक्टर नहीं पहुंचे है यही स्थिति सेलरहा पश्चिम महगांव अमनी लोकीपुर म्योहर टिकरा कोखराज भरवारी कादिल पुर कसेन्दा करारी टेवा उद्दीन सहित विभिन्न सरकारी अस्पतालों का रहा जहां शुक्रवार को दोपहर तक डॉक्टर मौजूद नहीं थे जिससे वहां मौजूद मरीज दर्द और पीड़ा से कराहते रहे कई घंटे इंतजार करने के बाद सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं हो सका है सरकारी अस्पताल की चौपट व्यवस्था के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्वत संज्ञान नहीं लेते हैं शिकायत के बाद भी सरकारी अस्पताल की चौपट व्यवस्था को सुधार करने का प्रयास मुख्य चिकित्सा अधिकारी नहीं करते हैं जिससे मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मंशा का अंदाजा लगाया जा सकता है लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधार ना करने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर कार्यवाही की मांग की है।
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