प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अध्यापकों को एक से अधिक बार अंतर जनपदीय तबादले की अर्जी देने का अधिकार है। शासनादेश व एकलपीठ द्वारा अंतर जनपदीय तबादले के लिए केवल एक बार ही अर्जी देने के आदेश नियमावली के नियम २१व ८(२),(डी )के विपरीत है।खंडपीठ ने कहा कि एक बार अंतर जनपदीय तबादला मंजूर होने के बाद दुबारा तबादले की अर्जी देने पर कोई रोक नहीं है। किन्तु अर्जी देने से तबादले का अधिकार नहीं मिल जाता।यह सरकार के विवेक पर निर्भर है कि वह तबादला करें या नहीं।यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अजय कुमार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा व शिवेंदु ओझा ने बहस की। इनका कहना था कि एकलपीठ ने अपने आदेश से याचिका में जो प्रार्थना नहीं थी,अपनी तरफ से अंतर जनपदीय तबादले के लिए दूसरी बार अर्जी देने पर रोक लगा दी।जबकि नियमावली में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।नियुक्ति से ५ साल तक तबादले पर रोक है। केवल महिला अध्यापिका को अपने पति या सास-ससुर के आवास के जिले में तबादला मांगने का नियम है। इसमें भी कहीं पर अर्जी की संख्या का उल्लेख नहीं है। दूसरे जिले में तबादला अनुरोध या दूसरे अध्यापक की सहमति से किये जाने का नियम है। दूसरे जिले में तबादला लेने पर वरिष्ठता प्रभावित होती है। उसे वरिष्ठता जिले में सबसे नीचे दी जाती है। स्पष्ट है कि तबादला अर्जी देने से तबादले का अधिकार नहीं मिल जाता। यह सरकार के अधिकार में है। तबादला सरकार के विवेक पर निर्भर है।
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