नई दिल्ली। सरकार के अंतरिम अनुमानों के मुताबिक महत्त्वाकांक्षी उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत प्रोत्साहन पर वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 40,000 करोड़ रुपए से भी कम खर्च किए जाएंगे। पीएलआई योजना का यह चौथा साल होगा। पीएलआई के तहत 1.97 करोड़ रुपए का कुल प्रोत्साहन दिया जाना था और अंतरिम अनुमानों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 के अंत तक इसमें से केवल एक चौथाई रकम इस्तेमाल हो पाएगी। इससे यह संकेत भी मिलता है कि सभी 14 पीएलआई योजना पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई हैं।14 योजनाओं में से बड़े स्तर की तीन योजनाएं इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, बल्क दवा और चिकित्सा उपकरण 2020 में शुरू की गई थीं तथा बाकी योजनाएं उसके बाद के साल में शुरू हुईं। कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023 से प्रोत्साहन का दावा करना शुरू किया था, जो भारत में तैयार वस्तुओं की बिक्री में बढ़ोतरी के हिसाब से मिलता है। पिछले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने 8 क्षेत्रों के पीएलआई लाभार्थियों को बतौर प्रोत्साहन 2,874 करोड़ रुपए दिए हैं। इनमें मोबाइल विनिर्माण, आईटी हार्डवेयर, फार्मास्युटिकल दवा, बल्क दवा, चिकित्सा उपकरण, दूरसंचार, खाद्य उत्पाद और ड्रोन शामिल हैं। मामले के जानकार लोगों ने बताया कि पीएलआई योजना लागू होने के तीसरे साल यानी वित्त वर्ष 2024 में कुल व्यय 13,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025 में प्रोत्साहन भुगतान 23 से 24 हजार करोड़ रुपए रह सकती है।
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