म्योरपुर/सोनभद्र। म्योरपुर रेज क्षेत्र के जंगली इलाको में स्वम् से उगे पौधे देख रेख के अभाव में समय से पहले ही या तो नष्ट हो जा रहे है या ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओ के हाथ बलि हो रहे है आलम यह है कि ज्यादातर महिलाएं प्रतिदिन जंगल मे जा उन पौधों को काट जलावनी के रूप में इस्तेमाल कर ले रही है जो पौधा से बृक्ष बनने के कगार पर है जंगलों की कटान अगर इसी प्रकार होती रही तो वह दिन दूर नही जब हमे और आपको ऑक्सीजन का सिलेंडर अपने पीठ पर लेकर चलना पड़े जिसका जीता जागता उद्धाहरण हम कोरोना काल मे देख चुके है फिर भी वनों को काटने से बाज नही आ रहे है।पर्यावरण कार्यर्ताओं की माने तो वन विभाग हर वर्ष लाखो लाख या करोङो पौध रोपण कर अपना नाम गिनीज बुल में दर्ज कराती है लेकिन उन पौधों में से 15 प्रतिशत भी नही बच पाती सूत्रों की माने तो प्लांटेशन के लिये वन विभाग को करोङो रुपये सरकार से आती है बृक्षारोपण के लिये वन विभाग बकायदा जंगलों में वाचर की नियुक्ति करती है फिर भी पौधे देख रेख के अभाव में पौधे नष्ट हो जाते है या ग्रामीणों के हाथों बलि हो जा रहे है।पर्यावरण कार्यकर्ता मोहन,सौरभ, बासदेव का कहना है कि वन विभाग हर वर्ष नए नए प्लांटेशन लगवाने में करोङो रुपये खर्च कर रही है पर जो पौधे अपने से जंगलों में उगे है उनका संरक्षण के लिये कुछ नही कर रही है।पर्यावरण कार्यकर्ताओ कहना था कि वन विभाग बृक्षारोपण के बाद जिस प्रकार देख रेख के लिये पांच वर्ष एक वाचर की ड्यूटी लगाती है उसी प्रकार अपनी उगे पौधों के संरक्षण के लिये भी कम से कम एक वाचर की ड्यूटी लगाई कार्यकर्ताओ ने वन मंत्री से मांग किया है कि जंगलों के संरक्षण के लिये वन विभाग रिजर्व फारेस्ट का कटिली तारो से धेराव कराए जिससे जगंलों की कटान न होने पाए।
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