सनातन धर्म में बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शनों का सबसे ज्यादा महत्व है। केदारनाथ मंदिर की मान्यता यह भी है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है। उसकी यात्रा निष्फल मानी जाती है। केदारनाथ मंदिर की मान्यता यह है कि केदारनाथ भगवान शिव के बारह ज्योतिलिंगो में से एक है। “केदारनाथ धाम में ज्योतिलिंगो के दर्शन की बड़ी मान्यता है। इस स्थान के बारे में यह माना जाता है कि ज्योतिलिंग के दर्शन से समस्त पापो से मुक्ति मिल जाती है।
केदारनाथ धाम के निर्माण के बारे में अनेक मान्यताएं हैं। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये मंदिर 12-13 शताब्दी का है। इतिहासकार मानते है कि शैव लोग आदिगुरु शंकराचार्य से पहले केदारनाथ जाते रहे है। यह माना जाता है कि 1000 वर्ष से केदारनाथ मंदिर में तीर्थयात्रा जारी है। यह भी कहते है कि केदारेश्वर ज्योतिलिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवो ने कराया था। बाद में अभिमन्यु के पुत्र जन्मेजय ने इसका जीर्णोद्धार ( पुनःनिर्माण ) किया था लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है वो है कि सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा।
केदारनाथ धाम की मान्यताओं के दर्पण में केदारनाथ: लिंग पुराण के मतानुसार जो मनुष्य संन्यास लेकर केदारकुण्ड में निवास करता है, वह शिव समान हो जाता है।
कर्मपुराण में कहा गया है कि महालय तीर्थ में स्नान करने और केदारनाथ का तीर्थ करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है।पह्म पुराण में कहा गया है कि जब कुंभ राशि पर सूर्य तथा गुरु ग्रह स्थित हो, तब केदारनाथ का दर्शन तथा स्पर्श मोक्ष प्रदान करता है। हमारे सनातन धर्म में एक विशेष महापुराण है स्कंद पुराण, इसमें भी केदारनाथ का महात्म्य बताया गया है। केदारनाथ मंदिर के बारे में शिवपुराण में कहा गया है कि केदारनाथ में जो तीर्थयात्री आते है। उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और अपने सभी पापो से मुक्त भी हो जाते है। केदारनाथ के जल को अत्यंत धार्मिक महत्व दिया जाता है।