काठमांडू। नेपाल और चीन के बीच शी जिनपिंग के ड्रीम प्रॉजेक्ट बेल्ट एंड रोड पर साल 2013 में हस्ताक्षर हुआ था। चीन का दावा है कि वह नया सिल्क रोड तैयार कर रहा है और इसके लिए वह अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। पाकिस्तान, श्रीलंका, कंबोडिया, अफ्रीका महाद्वीप सहित दुनिया के कई देशों में चीन ने अरबों डॉलर के बीआरआई प्रॉजेक्ट शुरू किए। वहीं नेपाल ने अब तक इस परियोजना से किनारा किया हुआ है। इसकारण नेपाल में बीआरआई का एक भी प्रॉजेक्ट शुरू नहीं हुआ है। इससे चीन अब भड़का हुआ है और नेपाल सरकार के साथ उसकी जुबानी जंग शुरू हो गई है।दरअसल, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों में बीआरआई प्रॉजेक्ट सफेद हाथी साबित हुए हैं। भारत के पड़ोसी देश इसमें फंसकर आर्थिक तबाही की स्थिति में आ गए हैं। श्रीलंका जहां डिफॉल्ट हो चुका है, वहीं पाकिस्तान कंगाल हो चुका है। नेपाल ने इससे सबक लेकर बीआरआई से दूरी बना रखी है जिससे अब चीन नाराज हो गया है। चीन ने अब नेपाल में चलाए जा रहे अपने सभी प्रॉजेक्ट को जबरन बीआरआई का हिस्सा बताना शुरू कर दिया है। वहीं नेपाली सरकार ने साफ कर दिया है कि देश में अभी बीआरआई परियोजना शुरू ही नहीं हो सकी है।बीआरआई में शामिल होने के बाद नेपाल ने शुरू में एक फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किया था जिसमें शुरू में बीआरआई के तहत 35 प्रॉजेक्ट को शामिल किया गया था। बाद में यह केवल 9 तक सिमट गया। नेपाल सरकार के इन प्रॉजेक्ट के वित्तपोषण (साफ्ट लोन या ग्रांट) को लेकर संदेह जताने के बाद भी चीन ने अब दावा शुरू कर दिया है कि नेपाल में पूरे किए गए कई प्रॉजेक्ट बीआरआई का हिस्सा है। ताजा घटनाक्रम में नेपाल में चीन के राजदूत चेंग सोंग ने जून 2023 में वीचैट पे लांच किया और इस बीआरआई का हिस्सा बता दिया।इससे नेपाल के सत्ता के गलियारे में यह भ्रम होना शुरू हो गया। नेपाल में जब विपक्षी दलों ने सफाई मांगी, तब नेपाली विदेश मंत्री एनपी सौद ने साफ कह दिया कि नेपाल और चीन के बीच बीआरआई परियोजना का क्रियान्वयन अभी भी चर्चा के चरण में है। अभी तक एक भी बीआरआई प्रॉजेक्ट शुरू नहीं हो सका है। एक पूर्व संपादक का मानना है कि चीन के लिए बीआरआई अब उसकी विदेशी और क्षेत्रीय नीति का हिस्सा है। यही नहीं चीन ने बीआरआई को बढ़ावा देना अब कानूनी जरूरत बना दिया है।यह भी महत्वपूर्ण है कि अमेरिका ने जब से नेपाल में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है, चीन ने बीआरआई पर ज्यादा जोर देना शुरू कर दिया है। इससे पहले चीन ने ऐलान किया था कि पोखरा एयरपोर्ट भी बीआरआई का हिस्सा है। यह एयरपोर्ट इससे पहले बीआरआई प्रॉजेक्ट में शामिल नहीं किया गया था। नेपाल ने चीन से साल 2016 में 21 करोड़ डॉलर का साफ्ट लोन लिया था। इसमें बीआरआई का कहीं जिक्र नहीं था। चीन के इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया था। वहीं चीन के बढ़ते प्रभाव की वजह से भारत पोखरा एयरपोर्ट के लिए हवाई रास्ता नहीं दे रहा है। यहां के चीन से आने वाले प्लेन ही उतर रहे हैं। अब बीआरआई को लेकर नेपाल सरकार कुछ कह रही है, वहीं चीन दूसरा दावा कर रहा है जिससे दोनों के बीच विवाद बढ़ा है।
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