चहनियां। बलुआ स्थित गंगा नदी में प्रशासन द्वारा मछली मारने पर रोक लगाने से खिन्न निषाद समाज के समक्ष रोजी रोटी की संकट आ गयी है । बुधवार को पुलिस द्वारा मछली मारने पर रोक लगाने की हिदायत पर मछुआरों ने प्रदर्शन कर प्रशासन का विरोध जताया । वही रोक लगाने के एवज में दस दस हजार के मुआवजे की मांग की। बलुआ में गंगा तट पर रहने वाले सैकड़ो मछुआरों के परिजनों की आजीविका गंगा में मछली मारकर उसे बेचकर चलती है । बुधवार को बलुआ पुलिस द्वारा दो माह तक मछली न मारने पर प्रतिबंधित कर दिया गया है । नाराज निषाद समाज के लोगो ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि विगत कई वर्षों से गंगा में मछली पकड़कर हमलोग बेचने का काम करते है । अब तक पूर्व में कोई भी सरकार में प्रशासन द्वारा इस तरह का रोक नही लगाया गया । अगर हमलोग मछली पकड़कर बेचेंगे नही तो हमारा परिवार कैसे चलेगा । बलुआ पुलिस द्वारा बताया गया है कि जिलाधिकारी द्वारा इस पर रोक लगाया गया । एक तो वैसे ही सावन चल रहा है । इस महीने में धन्धा वैसे ही मंदा हो जाता है । जो थोड़ बहुत चलता है उसी से परिवार का जीविकोपार्जन चल रहा है । ऐसे में रोक लगाने से हमारा परिवार भूखों मर जायेगा । जबकि हमलोग निषाद पार्टी भाजपा के गठबंधन पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय निषाद का सहयोग करते है और इस सत्ता में ही हमलोगों का शोषण हो रहा है । यदि प्रशासन दो महीने मछली मारने पर रोक लगा रही है तो जीविकोपार्जन के लिए प्रति परिवार दस दस हजार का मुआवजा दे । इस संदर्भ में बलुआ इंस्पेक्टर विनय प्रकाश सिंह का कहना है यह आदेश जिलाधिकारी महोदय के निर्देश पर है । यदि कोई भी मछली मारते हुए पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही किया जायेगा।
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