कराची। पाकिस्तान में नया दाऊद इब्राहिम तैयार हो गया है। हाजी सलीम के नाम को रविवार से ही यहां खूब चर्चा में लिया जा रहा है। हाजी सलीम के बारे में भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान की आईएसआई से उसका कनेक्शन है, वह इस समय खत्म हो चुके संगठन लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम को फिर से जिंदा करने की कोशिशों में लग गया है। एक खास बात यह है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ उसका गहरा कनेक्शन होना बताया जा रहा है। खुफिया जानकारी के मुताबिक कराची में रहने वाला यह गैंगस्टर इस समय डॉन के लिए काम कर रहा है। वह डॉन के कई अरब वाले ड्रग्स नेटवर्क का मास्टरमाइंड है और इसे संभाल रहा है। इस समय हाजी सलीम हिंद महासागर में दाऊद के नेटवर्क को संभाल रहा है। कराची के इस गैंगस्टर को कई बार दाऊद के क्लिफटन रोड वाले घर पर देखा गया है। कहा जा रहा है ड्रग्स के धंधे और इसकी स्मगलिंग के लिए दोनों ही एक-दूसरे के नेटवर्क का प्रयोग करते हैं। सूत्र बताते हैं कि हाजी को पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई का भी भारी समर्थन हासिल है। हाजी जिस लिट्टे को फिर से जिंदा करने की कोशिशों में लगा है, साल 2009 में श्रीलंका की मिलिट्री ने उस संगठन को खत्म हुआ घोषित कर दिया था।सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भले ही सन् 1990 के दशक के अंत में भारतीय एजेंसियों ने डी-कंपनी के नेटवर्क को खत्म कर दिया था, लेकिन यह संभव है कि उसके पुराने संपर्क सलीम के गुर्गों के साथ बने हुए हों। एक बात और यह है कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद समुद्री और भूमि मार्ग के माध्यम से नशीली दवाओं का व्यापार बढ़ गया है। इस वजह से ही इस बात की आशंका जताई गई है। कराची में दाऊद के घर पर उसे कई बार देखा गया है। इतना ही नहीं 24 घंटे हथियारों से लैस सिक्योरिटी गार्ड उसकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। हाजी सलीम, आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ काम करता है। और भारत, मालदीव, श्रीलंका और कुछ मीडिल ईस्ट देशों में वह स्मगलिंग को अंजाम दे रहा है।
जानकारी यह भी है कि सलीम के गुर्गे बलूचिस्तान में कई सीक्रेट लैब्स को ऑपरेट कर रहे हैं। इन लैब्स में अफगानिस्तान से आने वाली हेरोइन के पैकेटों पर 555, 999, यूनिकॉर्न और ड्रैगन जैसे कई प्रतीकों या ऐसे कई लेबल लगाए जाते हैं। भारत में 70 फीसदी मादक पदार्थ समुद्री मार्गों से आते हैं। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक अधिकांश खेप के पीछे हाजी सलीम का ही नेटवर्क है। हाजी सलीम के करीबी उसी मॉड्स ऑपरेंडी का प्रयोग कर रहे हैं जो सन् 1990 के दशक में डी कंपनी करती थी। इसके तहत समुद्र के बीच में बड़े जहाज से छोटी मछली पकड़ने वाली नौकाओं और नावों तक तस्करी का आदान-प्रदान किया जाता था।