संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प‎‎रिषद ने यूक्रेनी बांध टूटने के गंभीर परिणामों की दी चेतावनी

कीव। दक्षिणी यूक्रेन में कखोवका पनबिजली संयंत्र बांध के नष्ट होने से जनजीवन पर असर पड़ने वाला है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के अवर महासचिव और आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफिथ्स ने उसके गंभीर परिणामों की चेतावनी दी है। ‎मिली जानकारी के अनुसार, ग्रिफिथ्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में कहा, फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरूआत के बाद से बांध का नष्ट होना संभवत: नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान की सबसे बड़ी घटना है। उन्होंने कहा, इस तबाही की भयावहता आने वाले दिनों में पूरी तरह से महसूस की जाएगी। लेकिन यह पहले से ही स्पष्ट है कि दक्षिणी यूक्रेन में हजारों लोगों के लिए इसके गंभीर और दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि बांध द्वारा निर्मित कखोवका जलाशय, इस क्षेत्र की जीवन रेखा है और लाखों लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है, न केवल खेरसॉन में बल्कि जपोरिजिया और निप्रो ओब्लास्ट में भी। ग्रिफिथ्स ने कहा ‎कि बांध दक्षिणी खेरसॉन और क्रीमिया प्रायद्वीप में कृषि सिंचाई का एक प्रमुख स्रोत है। निरंतर बाढ़ कृषि गतिविधियों को बाधित करेगी, पशुधन और मत्स्य पालन को नुकसान पहुंचाएगी, और व्यापक दीर्घकालिक परिणाम लाएगी। यह खाद्य उत्पादन क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका है जो पहले से ही काफी क्षतिग्रस्त है। मार्टिन ग्रिफिथ्स ने कहा ‎कि हम विशेष रूप से खदान और विस्फोटक आयुध संदूषण के जोखिमों के बारे में चिंतित हैं, क्योंकि पानी के साथ ये गोला-बारूद उन इलाकों में पहुंचेंगे जिन्हें पहले सुरक्षित माना गया था। इस प्रकार लोगों को आगे ज्यादा तथा अप्रत्याशित खतरा हो सकता है। बांध के टूटने से बिजली उत्पादन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, जलाशय के जल स्तर में कोई भी अनियंत्रित कमी जपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सुरक्षा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी स्थिति पर करीबी नजर रख रही है। अभी तक, तत्काल किसी खतरे की सूचना नहीं मिली है।यूक्रेनी अधिकारियों ने बताया है कि खेरसॉन ओब्लास्ट में कम से कम 40 बस्तियां पहले से ही बाढ़ग्रस्त हैं। आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ने की आशंका है। इसका गंभीर प्रभाव रूस द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में भी होने की उम्मीद है, जहां मानवतावादी अभी भी पहुंच हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और मानवतावादी संगठनों ने पहले ही इस घटना के प्रभाव को दूर करने की कोशिश करने के लिए अभियान तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि 16,000 से अधिक प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए आपातकालीन प्रतिक्रिया चल रही है।