वॉशिंगटन। दुनिया के लिए अनआइडेंटिफाइट फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स यानी यूएफओ हमेशा से रहस्य रहे हैं। अब एक रिटायर्ड अमेरिकी इंटेलीजेंस और एयरफोर्स ऑफिसर ने दावा किया है कि अमेरिका में कई ऐसे नॉन-ह्यूमेन एयरक्राफ्ट हैं जो यूएफओ से जुड़े हैं। उनकी मानें तो अमेरिका ने कई ऐसे एयरक्राफ्ट को तलाशा और फिर उन्हें छिपा दिया है। यूएफओ को लेकर अमेरिका की तरफ से कई बार ऐसे दावे किए गए हैं, जिन्हें लेकर हर बार कई तरह की आशंकाएं जताई गई हैं। हर बार यूएफओ को लेकर अमेरिकी मीडिया में इस तरह की खबरें आई हैं जिनके बारे में कभी आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सका है।यूएस एयरफोर्स से रिटायर 36 साल के डेविड ग्रुश ने सोमवार शाम को मीडिया से बातचीत में कहा कि अमेरिका की तरफ से टॉप सीक्रेट वाला खास कार्यक्रम अब तक चल रहा है जो यूएफओ से जुड़ा है। इसी कार्यक्रम के तहत यूएफओ का मलबा मिला है। उन्होंने कहा कि अमेरिका फिर से इन तकनीकी वाहनों जिन्हें अंतरिक्ष यान भी कहा जा सकता है, उन्हें फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने बताया को ये गैर-मानवीय वाहन या तो उतरे हैं या फिर क्रैश हो गए हैं। इनके मलबे में एयरक्राफ्ट के पायलट भी मिले हैं। डेविड ग्रुश जिन्हें एक व्हिसलब्लोअर भी करार दिया जा रहा है उनका कहना है कि कभी-कभी आप मरे हुए पायलट्स का सामना करते हैं।उनका दावा था कि यह भले ही काल्पनिक लग रहा हो मगर सच है। ग्रुश उस टास्क फोर्स में शामिल थे जो यूएफओ से जुड़ी थी। उन्होंने अफगानिस्तान में युद्ध में भी हिस्सा लिया है। इसी साल जनवरी में नेशनल इंटेलीजेंस डायरेक्टर के ऑफिस की तरफ से आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2022 में 510 यूएफओ नजर आए थे। यह आंकड़ा साल 2021 की तुलना में 366 अंक ज्यादा था। रिपोर्ट में कहा गया था कि इनमें से सिर्फ 171 ही ऐसे थे जो असामान्य उड़ान विशेषताओं या प्रदर्शन क्षमताओं का प्रदर्शन करने वाले थे। बाकी किसी गुब्बारे जैसी यूनिट्स थी जिनके बारे में अध्ययन जारी है।ग्रुश के दावों की पुष्टि मीडिया रिपोर्ट में नहीं की जा सकी है, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बात पर चर्चा शुरू कर दी है कि क्या एलियंस हमारे ग्रह पर हो सकते हैं। बोस्टन यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स के निदेशक जोशुआ सेमीटर ने कहा है कि अधिकांश यूएफओ को गुब्बारे, ड्रोन या बहते हुए हवाई कचरे के तौर पर देखा जा सकता है। उनका कहना था कि कुछ मामलों में यह नजारा परिप्रेक्ष्य पूर्वाग्रह से प्रभावित हो सकता है। ऐसा तब होता है जब एक धीमी गति से पास की वस्तु एक बड़ी, तेज, दूर की वस्तु की तरह दिखती है।
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