लखनऊ। आज एमेज़ॉन वेब सर्विसेज़ ने भारत में 2030 तक क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर में 1,05,600 करोड़ रु. (12.7 अमेरिकी डॉलर) का निवेश करने की अपनी योजना के बारे में बताया। यह निवेश भारत में ग्राहकों द्वारा क्लाउड सर्विसेज़ की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किया जाएगा। इस निवेश से 2030 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1,94,700 करोड़ रु. (23.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का योगदान मिलेगा। भारत में डेटा सेंटर इन्फ्रास्ट्रक्चर में इस योजनाबद्ध निवेश से हर साल भारतीय व्यवसायों में औसतन 1,31,700 फुलटाईम ईक्ववैलेंट (एफटीई) नौकरियों का निर्माण करने में मदद मिलेगी। ये नौकरियाँ भारत में डेटा सेंटर सप्लाई चेन के अंतर्गत कंस्ट्रक्शन, फैसिलिटी मेंटेनेंस, इंजीनियरिंग, टेलीकम्युनिकेशंस, एवं अन्य क्षेत्रों में होंगी। इस नए निवेश की घोषणा से पहले एडब्लूएस 2016 से 2022 के बीच 30,900 करोड़ रु. (3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश कर चुका है, जिसके बाद भारत में 2030 तक एडब्लूएस का कुल निवेश बढ़कर 1,36,500 करोड़ रु. (16.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) हो जाएगा। भारत में एडब्लूएस के निवेश का इन क्षेत्रों की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर रिपल इफेक्ट पड़ेगा तथा कार्यबल के विकास, प्रशिक्षण एवं कौशल संवर्धन के अवसरों, सामुदायिक संलग्नता और सस्टेनेबिलिटी कार्यक्रमों का विकास होगा। ज्यादा जानकारी यहाँ प्राप्त करें।एडब्लूएस के पास भारत में दो डेटा सेंटर इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र हैं – एडब्लूएस एशिया पैसिफिक (मुंबई) क्षेत्र, जो 2016 में लॉन्च किया गया था और एडब्लूएस एशिया पैसिफिक (हैदराबाद) क्षेत्र, जो नवंबर 2022 में लॉन्च किया गया था[1]। ये दोनों एडब्लूएस क्षेत्र भारतीय ग्राहकों को ज्यादा लचीलेपन और उपलब्धता के साथ वर्कलोड चलाने, भारत में डेटा सुरक्षित रूप से स्टोर करने के विभिन्न विकल्प प्रदान करने और अंतिम यूज़र को कम लेटेंसी के साथ सेवाएं देने के लिए डिज़ाईन किए गए हैं। एडब्लूएस साल 2016 से 2022 के बीच एडब्लूएस एशिया पैसिफिक (मुंबई) क्षेत्र में 30,900 करोड़ रु. (3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से ज्यादा निवेश कर चुका है। इसमें पूंजी और संचालन, दोनों तरह के खर्च शामिल हैं, जो कंस्ट्रक्शन, रखरखाव, और उस क्षेत्र में डेटा सेंटर चलाने से जुड़े खर्च हैं। एडब्लूएस का अनुमान है कि 2016 से 2022 के बीच भारत की जीडपी में इसके द्वारा 38,200 करोड़ रु. (4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से ज्यादा का योगदान दिया गया, और इस निवेश से भारतीय व्यवसायों में प्रतिवर्ष 39,500 एफटीई नौकरियों में मदद मिली।