गेहूं खरीद में पिछला लक्ष्य एजेंसियों को पूरा करने की चुनौती

सिद्धार्थनगर। जिले में स्वीकृत 134 क्रय केंद्रों के सापेक्ष सक्रिय 108 केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। पहले मोबाल टीम और अब गांव-गांव जाकर किसानों व कोटेदारों से संपर्क अभियान के बाद भी खरीद की रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। इसकी वजह किसान सरकारी तंत्र की लंबी लाइन से बचने के लिए अपने घर से ही अच्छे दाम पर गेहूं व्यापारियों को बेच रहे हैं। गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 रुपये है जबकि आढ़तिये यानी व्यापारी खेत से ही किसानों की उपज को 2170 से 2200 रुपये प्रति कुंतल की दर से खरीद रहे हैं। जिले में एक माह 10 दिन बाद भी मात्र 469 एमटी गेहूं खरीद हो पाई है। यही स्थिति रही तो पिछले सत्र में 11 प्रतिशत हुई खरीद का लक्ष्य भी पूरा करना मुश्किल होगा। जिले में क्रय केंद्रों पर एक अप्रैल से गेहूं खरीद की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। 40 दिन बाद भी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा दिख रहा। मार्केंटिंग, विपणन को छोड़कर भारतीय खाद्य निगम की क्रय एजेंसी पर न तो बोहनी हुई और न ही किसान पहुंचे। अब तक जिले के 469 एमटी की खरीद हुई हैं। किसानों से समर्थन मूल्य योजना के तहत 2125 रुपये प्रति कुंतल की दर से गेहूं खरीदी जा रही है। यहां किसानों को गेहूं की उतराई, छनाई व सफाई में आने वाला व्यय 20 रुपये प्रति कुंतल देना होगा जबकि व्यापारी किसानों के घर पहुंचकर 2170 से 2200 रुपये प्रति कुंतल में खरीद रहे हैं। पिछले सत्र में जिले में गेहूं खरीद के लिए 109 क्रय केंद्र बनाए गए थे। इनमें पीसीएफ के 92, विपणन के 16 और खाद्य निगम के एक केंद्र थे। खरीद लक्ष्य आठ लाख के सापेक्ष 93 हजार कुंतल यानी 11 प्रतिशत हुई थी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भी क्रय एजेंसियों को गर्मी में पसीने बहाने पड़ रहे हैं।