काबुल। अस्थिरता से जूझ रहे अफगानिस्तान में अमेरिका ने यहां के सबसे बड़े बगराम एयर बेस को स्थानीय प्रशासन को जानकारी दिए बिना अचानक खाली कर दिया। जिसके बाद स्थानीय लोग यहां सामान लूटने के लिए पहुंच गए। लोगों ने तो लोहे के टुकड़ों और प्लास्टिक को भी नहीं बख्शा। बाद में जब स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी हुई तब जाकर अफगान सुरक्षाबलों ने एयरबेस को अपने कब्जे में किया। बगराम एयरफोर्स बेस साल 2001 से अमेरिका के नियंत्रण में था। पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपे ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमेरिकी नेवी सील कमांडो बगराम एयरबेस पर ही ट्रेनिंग ली थी। बाद में ये कमांडो जलालाबाद एयर बेस से रवाना हुए थे। इसी बेस पर अफगानिस्तान में एयर ऑपरेशन की कमान संभालने वाले कमांडर का ऑफिस भी था। इस एयरफील्ड को 1950 के दशक में सोवियत संघ ने बनाया था। 1979 में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो यह बेस उसके लिए मेन अड्डा बन गया।अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए भीषण आतंकी हमले का बदला लेने के लिए आज से 20 साल पहले पहुंचे थे। यह अमेरिका का सबसे लंबा चलने वाला संघर्ष है। 2001 से लेकर 2021 तक के अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिका के 2312 सैनिकों की मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं, इस युद्ध के लिए अमेरिका को 816 अरब डॉलर की भारी-भरकम राशि भी खर्च करनी पड़ी है। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने पुष्टि करते हुए बताया कि अमेरिका ने बगराम एयर बेस का नियंत्रण अफगान बलों को सौंप दिया है। वहीं, बगराम के लिए अफगानिस्तान के जिला प्रशासक दरवेश रऊफी ने बताया कि बगराम एयर बेस में अमेरिकी सैनिकों के इसे अफगान बलों को सौंपने के बाद लूटपाट देखी गई है। उन्होंने बताया कि अमेरिकियों के जाने के तुरंत बाद शुक्रवार तड़के दर्जनों लुटेरे बेस में घुस गए। उन्होंने असुरक्षित फाटकों के माध्यम से धावा बोला, कई इमारतों में तोड़फोड़ की और फरार हो गए। बाद में, पुलिस की कार्रवाई में कई लुटेरे गिरफ्तार भी हुए हैं।दरवेश रऊफी ने यह भी कहा कि कई लुटेरों और घुसपैठियों को पकड़ा गया है। बाकियों को बेस से खदेड़ दिया गया है। सामान के साथ फरार हुए लोगों की धड़ पकड़ के लिए भी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि दुर्भाग्य से अमेरिकी बगराम जिले के अधिकारियों या राज्यपाल के कार्यालय के साथ किसी भी समन्वय के बिना चले गए।