लंदन। ब्रिटिश सरकार के प्रमुख स्वतंत्र समीक्षा आयोग ने कुछ खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं की ‘‘विध्वंसक, आक्रामक और सांप्रदायिक कार्रवाई के खिलाफ चेतावनी देकर यह सुनिश्चित करने को कहा कि इसतरह के समूहों की ब्रिटिश संसद तक पहुंच न हो सके। समीक्षा रिपोर्ट को व्यापक सार्वजनिक विमर्शों में से एक बताया गया है, जिसमें 21,000 से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाएं शामिल हैं।रिपोर्ट में ‘सिख एक्स्ट्रेमिज्म नामक एक खंड में विस्तार से बताया गया है कि एक छोटे लेकिन बेहद मुखर समूह के विध्वसंक खालिस्तान समर्थक विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए सिख धर्म को ‘‘हाइजेक’’करने को लेकर ब्रिटिश सिख समुदाय के सदस्यों ने अपनी चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ब्रिटिश सिखों का एक छोटा, बेहद मुखर और आक्रामक अल्पसंख्यक समूह है, इस खालिस्तान समर्थक चरमपंथी के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो एक जातीय-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है।’’इसमें कहा गया है, इमसे कुछ चरमपंथियों को उस खालिस्तान को स्थापित करने की अपनी महत्वाकांक्षा में हिंसा का समर्थन करने और लोगों को उकसाने के लिए जाना जाता है, जिसकी भौतिक सीमाएं बड़े पैमाने पर भारत में पंजाब राज्य के विशिष्ट भागों के साथ साझा की जाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्रीय दावे में पाकिस्तान में स्थित पंजाब का हिस्सा शामिल नहीं है। यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि इन चरमपंथियों की प्रेरणा आस्था पर आधारित है या नहीं।’’रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटिश सरकार को यह पहचान करनी चाहिए कि ब्रिटिश सिख समुदाय के भीतर चरमपंथी गतिविधि कहां मौजूद है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी गतिविधियों को खत्म किया जाए। सिख चरमपंथ के बारे में चेतावनियों के अलावा, 159 पृष्ठों की रिपोर्ट में धार्मिक अतिवाद के अन्य रूपों को शामिल किया गया है और कहा गया है कि ‘‘कुछ ब्रिटिश हिंदुओं ने ब्रिटेन की राजनीति में हिंदू राष्ट्रवादी भागीदारी पर निराशा व्यक्त की है, जो ब्रिटेन में भारतीय समुदायों के बीच विभाजन पैदा कर सकता है। इस्लामी चरमपंथ पर रिपोर्ट में ब्रिटिश सरकार से अपील की गई है कि वह चरमपंथी इस्लामवाद तथा इस्लाम और इस्लामी चरमपंथियों तथा मुसलमानों के बीच अंतर को रेखांकित करने के लिए दोगुने प्रयास करे।
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