नई दिल्ली। कोल इंडिया ने 2025-26 में 1 अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। उत्पादन बढ़ाने के लिए कंपनी अब तक की सबसे बड़ी संख्या में खनन परियोजनाओं को मंजूरी दे रही है। मगर ऐसा करते समय वह लागत कम करने पर भी ध्यान दे रही है। कोल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने एक साक्षात्कार के दौरान यह बात कही। उनसे पूछा गया कि पिछले वित्त वर्ष में कोयला उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए परिचालन स्तर पर किस तरह के बदलाव किए गए थे? उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले प्रणाली में सुधार के लिए किए गए उपायों से 70 करोड़ टन का कठिन लक्ष्य पार करने में मदद मिली है। पर्यावरण और वन संबंधी मंजूरी हासिल करने तथा जमीन से संबंधित मसलों को निपटाने में सरकार से भी मदद मिली। तेजी से अनुबंध कर और सहायक इकाइयों के प्रबंधन को तेजी से निर्णय लेने का अधिकार देकर, कोयला उत्पादन के अनुबंध में लचीलापन लाकर और राज्य प्राधिकरणों तथा रेलवे, बिजली, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के साथ निरंतर समन्वय से संभावित अड़चनों की पहचान कर उन्हें दूर किया गया, जिससे उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली। हमने 2025-26 में 1 अरब टन उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने की योजना बनाई है। हम मौजूदा खदानों का विस्तार करने और नई परियोजनाएं शुरू कर क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। कुल 52 खनन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिससे चरणबद्ध तरीके से उत्पादन में हर साल 37.8 करोड़ टन का इजाफा होगा। इनमें से 13 नई परियोजनाएं हैं और बाकी मौजूदा परियोजनाओं का विस्तार किया गया है। इन परियोजनाओं से वित्त वर्ष 2025-26 में 102 करोड़ टन उत्पादन करने में मदद मिलेगी। हमने बारीकी से नजर रखने के लिए सालाना उत्पादन योजनाएं तैयार की हैं। 1 अरब टन का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य हासिल करने में महानदी, साउथ ईस्टर्न और सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड का उल्लेखनीय योगदान होगा। इसमें 29 फीसदी योगदान तो महानदी का ही होगा। उन्होंने निर्यात के बारे में कहा कि पहले देश में बिजली और गैर-विनियमित क्षेत्रों की कोयले की मांग पूरी की जाएगी, ईंधन के लिए किए गए वादे पूरे गिए जाएंगे। उसके बाद ही निर्यता पर विचार किया जाएगा।
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