लखनऊ।सिटी मोन्टेसरी स्कूल के फिल्म्स डिवीजन के तत्वावधान में विश्व का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव (आई.सी.एफ.एफ.-2023) आज से सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में प्रारम्भ हो गया। महोत्सव का उद्घाटन प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया। इस अवसर पर प्रख्यात अभिनेता सुदेश बेरी एवं डायरेक्टर व स्क्रिप्ट लेखक सुश्री ज्योति कपूर दास की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को बढ़ाया।बाल फिल्मोत्सव के पहले शो पर लखनऊ व आसपास के क्षेत्रों के विभिन्न विद्यालयों से पधारे लगभग 10,000 छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों की उपस्थिति ने इस आयोजन की सार्थकता सिद्ध कर दी। अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव का आयोजन 10 से 18 अप्रैल तक सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भावी पीढ़ी का चरित्र निर्माण एवं सर्वांगीण विकास करना है।बाल फिल्मोत्सव का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि ब्रजेश पाठक ने कहा कि बच्चे बचपन में जो देखते हैं वही बड़े होकर बन जाते हैं। इस फिल्म महोत्सव में बच्चों के अच्छी-अच्छी बाल फिल्में निःशुल्क दिखाई जा रही है, जिससे बच्चों में नैतिकता का विकास होगा। मैं इस शुभ कार्य के लिए सी.एम.एस. को बधाई देता हूँ। इस अवसर पर सी.एम.एस.संस्थापक डा. जगदीश गाँधी, सी.एम.एस. की संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गाँधी व सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने समारोह में पधारे मुख्य अतिथि समेत आमन्त्रित अतिथियों, फिल्म कलाकारों व छात्रों का स्वागत किया। उद्घाटन समारोह के उपरान्त अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव का शुभारम्भ गैब्रिएला गार्सिया मदीना द्वारा निर्देशित अमेरिकी बाल फिल्म ‘बर्टी, द ब्रिलियन्ट’ से हुआ।यह फिल्म एक किशोर के साहस, संघर्ष व चरित्र निर्माण को दर्शाती है।इस अवसर पर आयोजित एक प्रेस कान्प्रन्स में लखनऊ पधारे विशिष्ट अतिथियों ने इस ऐतिहासिक आयोजन पर अपने विचार व्यक्त किये।पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रख्यात फिल्म अभिनेता सुदेश बेरी ने कहा कि बच्चों के चारित्रिक व नैतिक विकास के लिए फिल्म जैसे सशक्त माध्यम का उपयोग सी.एम.एस. की एक अनूठी पहल है। डायरेक्टर व स्क्रिप्ट लेखक सुश्री ज्योति कपूर दास ने कहा कि बच्चे बच्चों के लिए बनी फिल्में ही देंखें। सी.एम.एस.संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि सी.एम.एस. देश का पहला स्कूल है जो इस तरह का फिल्म फेस्टिवल आयोजित करता है, जिसमें खास तौर से बच्चों के लिए बनाई गई चारित्रिक गुणों से परिपूर्ण बाल फिल्में निःशुल्क प्रदर्शित की जाती हैं।
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