अहमदाबाद। केकेआर को पांच छक्के लगाकर जीत दिलाने वाले रिंकू सिंह का यहां तक का सफरल बेहद कठिन रहा है। बचपन में क्रिकेट खेलने के कारण उन्हें अपने पिता से मार भी खानी पड़ी थी क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि वह पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करें पर रिंकू का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। वह नौवीं कक्षा में फेल हो गये थे उसके बाद उन्होंने स्कूल तक छोड़ दिया। एक समय रिंकू को पोंछा लगाने की नौकरी भी मिली थी। एक कोचिंग सेंटर वाले ने उन्हें सुबह-सुबह आकर पोछा लगाने के लिए कहा था हालांकि रिंकू ने वह नौकरी नहीं की थी। रिंकू पढ़ाई में अच्छे नहीं थे, इसलिए उन्होंने खेल पर ही ध्यान देना तय किया। उन्होंने सोच लिया था कि अब उनके पास जीवन में आगे जाने का एक ही विकल्प है और वह है एक अच्छा क्रिकेटर बनना। उनके पिता गैस सिलेंडर डिलीवरी करते थे। इस दौरान रिंकू सिंह छोटे-छोटे टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन कर कुछ पैसा कमा ले रहे थे। उनका भाग्य तब खुला जब शाहरुख खान ने उन्हें अपनी टीम केकेआर में शामिल किया। केकेआर ने रिंकू को साल 2018 में 80 लाख रुपए में खरीदा था। तब से रिंकू केकेआर के एक अहम सदस्य रहे हैं। इस क्रिकेटर ने 16 साल की उम्र में यूपी के लिए लिस्ट ए क्रिकेट में अपना पहला मैच खेला था। उस मैच में 87 गेंदों में 83 रन बनाने के कारण उन्हें सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में जगह मिली थी। उसके बाद से ही उन्हें घरेलू क्रिकेट में रणजी तक खेलने का अवसर मिला।
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