जानकारी : मष्तिष्क घात में सतर्कता जरुरी – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन

साइलेंट स्ट्रोक के कोई खास लक्षण नहीं होते हैं, आपको इसके संकेतों पर नजर रखनी चाहिए और समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए
स्ट्रोक भारत जैसे विकासशील देशों में मृत्यु दर और कई प्रमुख रोगों का एक सामान्य कारण है। स्ट्रोक दो प्रकार का होता है – हेमोरेजिक स्ट्रोक और इस्केमिक स्ट्रोक। इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित या कम हो जाती है, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। ऐसा होने से दिमाग की कोशिकाएं मिनटों में मरने लगती हैं।
स्ट्रोक वास्तव में एक इमरजेंसी है जिसमें उपचार की तुरंत जरूरत होती है। समय पर उपचार मिलने से ब्रेन को डैमेज होने और अन्य जटिलताओं को कम करने में मदद मिल सकती है। कुल मिलाकर प्रभावी उपचार स्ट्रोक को रोकने में मदद कर सकते हैं।
इस्केमिक स्ट्रोक के प्रकार—
ओवर्ट स्ट्रोक, जिसमें हेमिपेरेसिस, चेहरे के भाव बदलना, बोलने में परेशानी जैसे स्ट्रोक के लक्षण होते हैं
ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए) – जिसमें कुछ मिनट से कुछ घंटों के लिए स्ट्रोक के लक्षण होते हैं
साइलेंट स्ट्रोक – जिसे कोवर्ट स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है और इसे सबक्लिनिकल सेरिब्रल इन्फार्क्शन भी कहते हैं
साइलेंट स्ट्रोक क्या है
साइलेंट स्ट्रोक आमतौर पर इस्केमिक होता है, जब थ्रोम्बस/थक्का मस्तिष्क की छोटी वाहिकाओं को अवरुद्ध कर देता है जिससे मस्तिष्क के छोटे क्षेत्र में क्षति होती है। साइलेंट स्ट्रोक एक बिना लक्षणों वाली घटना है जिसका आमतौर पर केवल न्यूरो-इमेजिंग तकनीकों द्वारा पता लगाया जाता है। स्ट्रोक के लक्षणों का कोई इतिहास नहीं होता है। साइलेंट स्ट्रोक के कारण सोचने-समझने की क्षमता कम हो सकती है। ओवर्ट स्ट्रोक की तुलना में साइलेंट स्ट्रोक अधिक सामान्य है।
जोखिम कारक और कारण
उम्र बढ़ना और हाई ब्लड प्रेशर इसके सबसे आम जोखिम कारक हैं
टीआईए या माइनर स्ट्रोक का पिछला इतिहास
दिल की अनियमित धड़कन
लार्ज आर्टरी एथेरोस्क्लेरोसिस
पेरिऑपरेटिव
कोरोनरी हार्ट डिजीज
डायबिटीज
स्मोकिंग, डिस्लिपिडेमिया
सेक्स, हार्ट फेलियर, क्रोनिक किडनी डिजीज
लक्षण
साइलेंट स्ट्रोक का कोई न्यूरोलॉजिकल लक्षण नहीं होता है लेकिन इतिहास और टेस्ट के आधार पर कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षण और संकेत का पता लगाया जा सकता है। इनमें शामिल हैं-
हल्की भूलने की बीमारी
व्यवहार में बदलाव
चलने पर संतुलन की कमी
सोचने-समझे की क्षमता प्रभावित होना
हल्की असमंजस की स्थिति
चक्कर आना
मूत्राशय पर कंट्रोल नहीं रहना
बचाव
साइलेंट स्ट्रोक भविष्य में स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है, जो सामान्य जनसंख्या की तुलना में दो गुना अधिक है। साइलेंट स्ट्रोक भी जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। साइलेंट स्ट्रोक की शुरुआती पहचान और उपचार से हम प्रत्यक्ष स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकते हैं और संज्ञानात्मक गिरावट को रोक सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।
आयुर्वेदानुसार
ओमेगा फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ मसलन अखरोट, सोयाबीन आदि अपने खाने में शामिल करें। यह कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करते हैं और ब्लड प्रेशर के साथ हृदय की बीमारियों से बचाते हैं। – टमाटर और गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं क्योंकि इनमें एंटी आक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती
आयुर्वेद में उपलब्ध इलाज
आयुर्वेद में इसके लिए औषधियों के अलावा पंचकर्म चिकित्सा भी बताई गयी है। वात-व्याधियों में सर्वाधिक कष्टप्रद व चिकित्सा की दृष्टि से कष्टसाध्य पक्षाघात होता है। यह एक चिरकालिक रोग है, जो अचानक उत्पन्न होता है और इसके कारण रोगी को असहनीय कष्ट झेलने पड़ते हैं। कुछ औषधियां हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सक की देखरेख में करने से बहुत लाभ मिलता है।

  • एकांगवीर रस – समीरपन्नग रस – वृहत वात चिंतामणि रस – योगेंद्र रस – दशमूल क्वाथ – महारास्नादि क्वाथ
    इन बातों का रखें ध्यान
  • नमक, कोलेस्ट्राल, ट्रांस फैट और सेचुरेटेड फैट की कम मात्रा वाला और एंटी आक्सीडेंट, विटामिन-ई, सी और ए की अधिक मात्रा वाला भोजन लें।
  • साबुत अनाज खाएं, क्योंकि यह फाइबर के अच्छे स्त्रोत हैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में काफी फायदेमंद साबित होते हैं।
  • ओमेगा फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ मसलन अखरोट, सोयाबीन आदि अपने खाने में शामिल करें। यह कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करते हैं और ब्लड प्रेशर के साथ हृदय की बीमारियों से बचाते हैं।
  • टमाटर और गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं क्योंकि इनमें एंटी आक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती है।
  • बहुत तनाव न लें, मानसिक शांति के लिए ध्यान लगाएं।
  • धूमपान और शराब के सेवन से बचें।
  • नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
  • अपना वजन नियंत्रित रखें।
  • हृदय व मधुमेह के रोगी अपने रोग के प्रति सावधान रहें। जिन्हें ये रोग होते है उनमें स्ट्रोक का खतरा दोगुना हो जाता है।
  • सोडियम यानी नामक का अधिक मात्रा में सेवन न करें। इससे ब्लड प्रेशर सही रहता है।
  • बहुत तीखे मसालेदार भोजन के सेवन से बचें।