लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने इस साल हज को शुरू से ही बड़ा दुशवार बना दिया है, पहले तो नई हज गाइडलाइन के नाम पर हज फार्म भरवाने में चार महीने का विलम्ब किया गया उसके बाद मंत्रालय ने जब हज आवेदन हेतु ऑनलइन फार्म जारी किये तो उसका राजनैतिक लाभ लेने के लिए उसे फ्री कर दिया हालांकी एक बार डेट बढ़ाने के बाद भी पिछले वर्षो की अपेक्षा एक चैथाई लोगों ने ही आवेदन किया।अनीस मंसूरी ने कहा कि जब हज पर जाने के लिए आवेदकों को लॉटरी के द्वारा चुन लिया गया और उसके बाद सभी चुने गए हज यात्रियों को खर्च की पहली किस्त जमा करना था लेकिन छप्ब् का सर्वर डाउन होने की वजह से आज 16 दिन बाद लोगों का पैसा जमा नहीं हो पा रहा है, आजमीन हज रोजा रखकर के दिन भर बैंक में कतारों में लग रहे हैं लेकिन उनको मायूस हो कर लौटना पड़ रहा है, यह निहायत अफसोस की बात है कि एक छोटे से काम के लिये आजमीन हज को इतनी दुशवारियां उठानी पड़ रही हैं।अनीस मंसूरी ने कहा कि इस बार अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने हज यात्रियों के मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट को अनिवार्य कर दिया है, यह सर्टिफिकेट बहुत दुशवारी भरा है, सर्टिफिकेट में ऐसी चीजेँ मांगी गयी हैं जिससे लागता है कि लोग हज करने नहीं आपरेशन कराने जा रहे हैं।अनीस मंसूरी ने कहा कि इस बार हज फिटनेस सर्टिफिकेट को सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर से बनवाना अनिवार्य कर दिया गया है वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के जिला सरकारी अस्पतालों में और ब्लॉक स्तर तक के अस्पतालों में कोई उचित व्यवस्था नहीं है, प्रदेश के 26786 लोग अपने मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए दर दर भटक रहे हैं उनकी कोई सुनने वाला नहीं है, उत्तर प्रदेश हज कमेटी ने इस बारे में चिकित्सा विभाग अधिकारियों को पत्र लिखा है लेकिन हज कमेटी का वह आदेश बिलकुल बेअसर है।अनीस मंसूरी ने कहा कि पूर्व के वर्षों में भी चिकित्सा प्रमाण पत्र अनिवार्य था लेकिन वह इतना पेचीदा नहीं था, इसके अलावा सभी प्राइवेट और सरकारी डॉक्टर जो रजिस्टर्ड हैं उनको यह सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार था, भारत सरकारऔर विदेश मंत्रालय, हज कमेटी ऑफ इंडिया और सऊदी हुकूमत उस मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट को मानती थीं लेकिन हमारी मौजूदा मंत्री स्मृति ईरानी जी ने इस सिस्टम को और पेचीदा कर दिया है।
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