वाशिंगटन। अमेरिकी सीमा के पास प्रवासियों की मौत ने अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं। मैक्सिको के श्यूडाड जुआरेज में एक निरोध केंद्र में आग लगने से कम से कम 39 प्रवासियों की मौत हुई थी। इस घटना के पीछे कई कारक हैं। तात्कालिक कारण यह प्रतीत होता है कि केंद्र में मौजूद कुछ हताश व्यक्तियों ने अपने निर्वासन के विरोध में वहां रखे गद्दों में आग लगा दी। इस घटना को लेकर सुरक्षा कर्मियों की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं, जो एक वीडियो में घटनास्थल से जाते हुए नजर आ रहे हैं। त्रासदी का एक और पहलू है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है और वो है अमेरिका और मैक्सिको की सरकारों की दशकों पुरानी आव्रजन प्रवर्तन नीतियां। इन नीतियों की वजह से निरोध केंद्रों पर रखे जाने वाले लोगों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। आग लगने की घटना के बाद, प्रवासियों के मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत फेलिप गोंजालेज मोरालेस ने ट्विटर पर कहा था कि आव्रजन निरोध केंद्रों का अत्याधिक इस्तेमाल इस तरह की त्रासदियों का कारण है।गौर करने योग्य बात यह है कि सीमा के दोनों ओर इस तरह के केंद्रों का अत्याधिक इस्तेमाल करने में अमेरिका की बड़ी भूमिका है। लंबे समय तक कैद रखा जाना और निर्वासन का डर आज मैक्सिको के पास बहुत बड़ा निरोध तंत्र है। इसमें कई दर्जन लघु और दीर्घकालिक निरोध केंद्र शामिल हैं, जिनमें वर्ष 2021 में तीन लाख से ज्यादा लोग बंद थे। लेकिन, अमेरिका का आव्रजन निरोध तंत्र दुनिया में सबसे बड़ा है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों तरह के केंद्र शामिल हैं। इसके अलावा, जेलों समेत अन्य तरह के निरोध केंद्र भी बड़े पैमाने पर अमेरिका के पास मौजूद हैं।
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