तीसरी तिमाही में सरकार ने प्रतिभूतियों से जुटायी 3.51 लाख करोड़

नयी दिल्ली।चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने प्रतिभूतियों के माध्यम से 3,51,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाई।आधिकारिक जानकारी के अनुसार उधार कैलेंडर में 3,18,000 करोड़ रुपये की अधिसूचित राशि के मुकाबले (वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही की 33,000 करोड़ रुपये की राशि को अंतिम नीलामी में वित्तीय वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में तय किया गया था। तिमाही के दौरान ऋण समाप्ति के लिए देय 85,377.9 करोड़ रुपये की राशि परिपक्वता तिथि पर चुकता कर दी गई थी। वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 7.33 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में प्राथमिक निर्गमों की भारित औसत प्रतिफल 7.38 प्रतिशत तक हो गया।वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग में बजट प्रभाग का सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ (पीडीएमसी), अप्रैल-जून (तिमाही 1) 2010-11 से नियमित आधार पर ऋण प्रबंधन पर एक त्रैमासिक रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है। वर्तमान रिपोर्ट अक्टूबर-दिसंबर (3री तिमाही वित्त वर्ष 23) त्रिमासिक से संबंधित है।दिनांकित प्रतिभूतियों के नए निर्गमन की भारित औसत परिपक्वता वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में 16.56 वर्ष हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में यह 15.62 वर्ष थी। अक्टूबर-दिसंबर 2022 के दौरान केंद्र सरकार ने नकदी प्रबंधन बिल के माध्यम से कोई राशि नहीं जुटाई। रिज़र्व बैंक ने इस तिमाही के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों के लिए खुले बाज़ार का परिचालन नहीं किया। सीमांत स्थायी सुविधा और विशेष तरलता सुविधा सहित तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत आरबीआई द्वारा शुद्ध दैनिक औसत तरलता समावेश इस तिमाही के दौरान 39,604 करोड़ रुपये रहा।अंतिम आंकड़ों के अनुसार, सरकार की कुल सकल देनदारियां (‘सार्वजनिक खाते’ के तहत देनदारियों सहित) सितंबर 2022 के अंत में 1,47,19,572.2 करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2022 के अंत में 1,50,95,970.8 करोड़ रुपये हो गई। इसने वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में 2.6 प्रतिशत की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि का प्रतिनिधित्व किया। सार्वजनिक ऋण सितंबर 2022 के अंत में 89.1 प्रतिशत की तुलना में दिसंबर 2022 के अंत में कुल सकल देनदारियों का 89.0 प्रतिशत था। बकाया दिनांकित प्रतिभूतियों के लगभग 28.29 प्रतिशत में 5 वर्ष से कम की शेष परिपक्वता थी।