वर्चुअल कोर्ट में वकील साहब स्कूटर चलाते हुए करने लगे बहस, कोर्ट नाराज

प्रयागराज।इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमों की वर्चुअल सुनवाई में स्कूटर चलाते समय बहस करने पर एक वकील को फजीहत झेलनी पड़ी। उनके इस तरह राह चलते वर्चुअल कोर्ट में बहस करने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने इसे गम्भीरता से लेते हुए चलते स्कूटर पर बहस करने वाले अधिवक्ता को न केवल सुनने से इनकार कर दिया बल्कि भविष्य में ऐसा न करने की नसीहत भी दी।हुआ यूं कि न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ में खुशबू देवी की याचिका पर सुनवाई तय थी। सुनवाई का वीडियो लिंक जब याची के अधिवक्ता को दिया गया तो उस समय वह स्कूटर से कहीं जा रहे थे। उन्होंने स्कूटर चलाते हुए ही लिंक से जुड़कर बहस शुरू कर दी। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और सुनवाई से इनकार कर दिया। साथ ही अधिवक्ता से कहा कि भविष्य में सावधानी बरतें।यह कोई पहला मामला नहीं है। बताते हैं ऐसे ही एक वकील साहब गांव गए थे। उसी समय उन्हें सुनवाई का लिंक भेज दिया गया। वह खेत में थे। उन्होंने कोर्ट से क्षमा याचना करते हुए वहीं हुए बहस की। कोर्ट ने उनकी बहस सुनकर आदेश भी दिया।वकीलों का कहना है कि प्रशासनिक अव्यवस्था उनके लिए मुसीबत खड़ी कर रही है। समय से लिंक नहीं मिलने व टाइम स्लॉट न भेजने के कारण असमंजस बना रहता है। इस कारण वकीलों को अक्सर शाम तक लिंक का इंतजार करना पड़ता है।वकीलों के मुताबिक अक्सर हाईकोर्ट प्रशासन से लिंक के समय की सूचना नहीं मिल पाती है। नतीजतन घंटों इंतजार करने के बाद उन्हें निराशा हाथ लगती है। वकील अक्सर न्यायालय प्रशासन से केस लिंक व टाइम स्लॉट न भेजने की शिकायत करते रहते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। परिणामस्वरूप वकील लिंक का इंतजार न कर अपने दूसरे काम में लग जाते हैं।केस की वर्चुअल सुनवाई के लिए कोर्ट के कार्यालय से एसएमएस आता है। टाइम स्लॉट सुनवाई के आधे घंटे पहले दे दिया जाता है। वकीलों की मानें तो कोर्ट में काम अधिक होने पर टाइम स्लॉट नहीं भेजा जाता। और कोर्ट का काम जल्दी खत्म होने पर टाइम स्लॉट दिए बगैर लिंक भेज दिया जाता है। यहीं चूक होती है। वकील घंटों इंतजार करते रहते हैं कि न जाने कब लिंक आ जाए। वे बताते हैं कि अक्सर उनका धैर्य जवाब दे जाता है, जिससे उनके साथ ऐसी घटना होना स्वाभाविक है। वकीलों का कहना है कि हाईकोर्ट प्रशासन को व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। इन्हीं परेशानियों के कारण वकील खुली अदालत में सुनवाई की मांग को लेकर आंदोलित भी हैं।