नई दिल्ली। ग्लोबल इकोनॉमी पर मंदी के बादल मंडरा रहे हैं। अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट ने स्लोडाउन की आशंका को और बढ़ा दिया है। अब वर्ल्ड बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है। वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2030 तक तीन दशक में सबसे कम रह सकती है। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रोडक्टिविटी और लेबर सप्लाई को बढ़ावा देने, निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ सर्विस सेक्टर की क्षमताओं को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना होगा. रिपोर्ट में कोविड-19 और रूस-यूक्रेन के बाद पोटेंशियल आउटपुट ग्रोथ रेट का वैल्यूएशन किया गया है। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई है कि पिछले तीन दशकों में ग्रोथ और समृद्धि को बढ़ावा देने वाली लगभग सभी आर्थिक ताकतें कमजोर हो गई हैं। इस गिरावट की वजह से 2022-2030 के बीच एवरेज ग्लोबल पोटेंशियल जीडीपी ग्रोथ में कमी आने की आशंका है।यह ट्रेंड सिर्फ विकसित इकोनॉमी तक ही सीमित नहीं है। विकसित देशों में भी ग्रोथ कम होने का अनुमान है। इस देश के बाकी समय में वार्षिक ग्रोथ चार फीसदी रह सकती है। अगर वैश्विक संकट आता है तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस मंदी का हम जिक्र कर रहे हैं वो और तेज हो सकती है। यदि एक और वैश्विक वित्तीय संकट उभरता है, खासकर अगर वह संकट वैश्विक मंदी के साथ हो तो ये मंदी विकास की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है। अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग संकट ने दुनिया भर के बाजारों को झकझोर दिया है। भारतीय बाजार में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। बैंकिंग स्टॉक्स पर दबाव दिख रहा है। अमेरिका में दो बैंकों पर ताला लग गया है और कई दूसरे बैंकों पर भी इस संकट का साया गहराता नजर आ रहा है। आशंका जताई जा रही है कि सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने के बाद अमेरिका का बैंकिंग संकट अपनी चपेट में कई और बैंकों को भी ले सकता है। यूरोप का क्रेडिस सुइस बैंक संकट में फंसकर बिक गया। वित्तीय संकट से जूझ रहे स्विट्जरलैंड के बैंक क्रेडिट सुइस का अधिग्रहण यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड करेगा।
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