इस्लामाबाद। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का कश्मीर प्रेम कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बिलावल ने एक बार फिर से कश्मीर पर बयान दिया है। इस बार उन्होंने ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन का मंच चुना है। बिलावल ने इस मंच से कहा है कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीरियों के आजादी के लिए होने वाले संघर्ष को राजनयिक, राजनीतिक और नैतिक समर्थन देता रहेगा। बिलावल ने कुछ ही दिनों पहले यह बात स्वीकार की थी कि पाकिस्तान कश्मीर मसले को यूनाइटेड नेशंस में मजबूती से उठाने में असफल रहा है। ओआईसी में बिलावल ने एक बार फिर से कश्मीर के लिए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का भी जिक्र किया है। बिलावल भुट्टो ने ओआईसी के विदेश मंत्रियों की मीटिंग को संबोधित कर रहे थे। इस बार विदेश मंत्रियों का सम्मेलन पश्चिमी अफ्रीका के मॉरीतानिया देश में आयोजित हुआ। बिलावल ने कहा कि कश्मीर और पाकिस्तान भूगोल, आस्था, संस्कृति से बंधे हुए थे। पाकिस्तान हमेशा कश्मीरियों की तरफ से होने वाले आजादी के संघर्ष को राजनीतिक, राजनयिक और नैतिक समर्थन देता रहेगा। बिलावल का कहना था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तरफ से जम्मू-कश्मीर पर एक प्रस्ताव लाया जा चुका है। इसके तहत यहां पर एक जनमत संग्रह का अधिकार लोगों को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत इस प्रस्ताव को लागू करने में असफल रहा है। बिलावल की मानें तो भारत कश्मीर पर धोखाधड़ी और सेना के दम पर कब्जा बरकरार रखे है। पांच अगस्त 2019 को भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था। बिलावल की मानें तो यह साफ है कि भारत का औपनिवेशिक विस्तार का जो मंसूबा था, वह असफल हो गया था। बिलावल ने कहा कि भारत अपनी मंशा में कभी सफल नहीं हो पाएगा। वह कभी भी कश्मीरियों की आजादी की आवाज और उनके आत्म निर्णय को दबा नहीं सकता है। बिलावल ने ओआईसी के कॉन्टैक्ट ग्रुप से अपील की है कि जब संगठन दोबारा मिले तो उसे एक प्रभावशाली योजना बनानी होगी, ताकि कश्मीर के मसले को आगे बढ़ाया जा सके। बिलावल यहीं नहीं रुके, उनका कहना था कि बिना इस मसले के हल हुए पाकिस्तान और भारत के बीच शांति संभव नहीं है।
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