प्रयागराज। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के मतांतरण के आरोप से घिरे प्रोफेसर की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। इविवि प्रशासन ने प्रोफेसर की गतिविधियों को खंगालना शुरू कर दिया है। साथ ही कोरोनाकाल में प्रोफेसर ने आनलाइन कक्षाओं में कितनी सहभागिता दर्ज कराई है। इसका ब्यौरा भी विभागाध्यक्ष से तलब किया गया है। लापरवाही मिलने पर इविवि प्रशासन प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई का भी निणय ले सकता है। हालांकि, इस मसले पर इविवि के प्रशासनिक अफसर कुछ भी बोलने से इन्कार कर रहे हैं।दरअसल, कानपुर के घाटमपुर के बीहूपुर गांव के २६ वर्षीय युवती प्रयागराज के झूंसी स्थित एक नामी संस्थान से २०१५ में एमबीए कर रही थी। इस दौरान उसका संपर्क इविवि के एक मुस्लिम प्रोफेसर से हुआ। इसके बाद उसने मतांतरण का फैसला ले लिया। एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) के मुताबिक प्रोफेसर ने ही छात्रा को धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया। यह बात मतांतरण मामले में गिरफ्तार किए गए डाक्टर उमर गौतम के गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में सामने आई है। एटीएस के मुताबिक प्रोफेसर ने उसे इस्लाम के बारे में जानकारी दी। इसके बाद उसका झुकाव इस्लाम के प्रति हो गया। अब खुफिया एजेंसी ने प्रयागराज पुलिस के साथ इविवि प्रशासन से भी संपर्क किया है। खुफिया एजेंसी ने इविवि प्रशासन से प्रोफेसर की नियुक्ति के बाद से अब तक गतिविधियों के अलावा उन पर लगे पुराने आरोपों का रिकार्ड तलब किया है। इसके बाद से इविवि प्रशासन भी अंदरखाने में प्रोफेसर की गतिविधियों को खंगालने में जुट गई है। कोई अहम साक्ष्य मिलने पर प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। इस मसले पर प्रोफेसर का कहना है कि न तो वह घाटमपुर को जानते हैं और न ही युवती और उसके घरवालों को। उन्होंने यह बात स्वीकार किया है कि उनका केवल तब्लीगी जमात से जुड़ाव है और उसके लिए काम करते हैं। मतांतरण से कोई लेनादेना नहीं है। जबकि, इविवि के प्रशासनिक अधिकारी अभी इस मसले पर कुछ भी बोलने से इन्कार कर रहे हैं।
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