वेंकैया ने भाषाओं के संरक्षण के लिए जन आंदोलन की जरुरत पर जोर दिया

विशाखापट्टनतम|उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को यहां भाषाओं के संरक्षण और उनकी समृद्धि के लिए जन आंदोलन की आवश्यकता पर जोर दिया।श्री नायडू ने सभी पीढ़ियों और भौगोलिक क्षेत्रों में लोगों को एकजुट करने के लिए भाषा की शक्ति को उजागर करते हुए भाषाओं संस्कृतियों और परंपराओं को संरक्षित समृद्ध और प्रचारित करने के लिए एक ठोस प्रयास करने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने छठे वार्षिक राष्ट्रेतारा तेलुगु समाख्या सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान सुझाव दिया कि तेलुगु लोगों को तेलुगु भाषा और अपनी स्थानीय परंपराओं को फिर से मजबूती देने के लिये एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों को पूरा किया जाना चाहिए ताकि हमारी भाषाई परंपराओं का लाभ हमारी भावी पीढ़ियों तक पहुंच सके ।उन्होंने कहा कि किसी भाषा की अनदेखी से कमी आती है और यह हर नागरिक का दायित्व है कि वह अपनी मातृभाषा का संरक्षण करे और उसे बढ़ावा दे लेकिन हमें दूसरी भाषाओं एवं संस्कृतियों को कमतर नहीं आंकना चाहिए। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा में दिए जाने पर जोर दिया जैसा कि नई शिक्षा नीति 2020 में इसे परिकल्पित किया गया है।उपराष्ट्रपति ने कहा कि फिलहाल राष्ट्रपति उप राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और देश के प्रधान न्यायाधीश समेत देश के शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों में से सभी ने प्राथमिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में हासिल की।उन्होंने कहा कि श्लोगों को यह गलत धारणा नहीं रखनी चाहिए कि अगर किसी व्यक्ति को मातृ भाषा में शिक्षा मिलती है तो वह जीवन में सफल नहीं होगा या आगे नहीं बढ़ेगा। इसे खारिज करने के लिये हमारे पास पूर्व और वर्तमान में कई उदाहरण हैं।उपराष्ट्रपति ने तेलुगु साहित्य का अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए और पहल करने का भी आह्वान कियाए ताकि भाषा परंपरा की समृद्धि का प्रसार हो सके। गौरतलब है कि तेलुगु भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए तेलुगु राज्यों के बाहर एक हजार से अधिक संगठन हैं। उपराष्ट्रपति ने ष्राष्ट्रेतारा तेलुगु समाख्याष् नामक एक साझा मंच पर एक साथ आने के लिए आयोजकों की इस पहल की सराहना की। उन्होंने सभी के भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं।