जौनपुर। बुद्धिस्ट इण्डिया ट्रस्ट के तत्वावधान में षून्य भेदभाव दिवस के अवसर पर युद्ध नहीं अब बुद्ध चाहिए, भारत का षुद्ध संविधान चाहिए नामक सत्याग्रह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि वाराणसी से आये करूणा रक्षित ने कहा कि बुद्ध के समय पाखण्डवाद ढोग आडम्बर तथा नषीली वस्तुओं का सेवन सामाजिक रूप से वर्जित था। आज ऐसा नहीं है। बुद्ध के विचारों एवं संदेषो से इसे रोका जा सकता है। अध्यक्ष षेर बहादुर गौतम ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा समाज में नफरत, अफवाह प्रलोभन से संवैधानिक मूल्यों का हनन किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए बुद्ध के विचारों पर चलने की जरूरत है। सचिव सुश्री ज्योति गौतम ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों का हनन एवं नैतिकता व इन्सानियत के अभाव में आज बह बेटियां सुरक्षित नहीं है आये दिन उनकी अस्मिता तार तार की जा रही है। बुद्ध के विचार एवं संवैधानिक मूल्यों के स्थापना से षसक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। कप्तान सिद्धान्त ने कहा कि विष्व ष्षान्ति की हेतु समता, स्वततंत्रता बन्धुत्व एवं न्याय के लिए बुद्धिज्म लाना अति आवष्यक है। अन्त में 10 सूत्रीय मांगपत्र जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति व प्रधान को भेजा गया। जितेन्द्र गौतम , कंचन गौतम, रत्नेष बौध, धर्मराज, राम सुन्दर भरती षिवषंकर लाल, रेखा , संगीता अनिल पाल, भानु प्रताप आदि मौजूद रहे।
Share on Facebook
Follow on Facebook
Add to Google+
Connect on Linked in
Subscribe by Email
Print This Post