जिले में पाँच मार्च तक चलेगा टीबी एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान

चंदौली | जिले में सोमवार से शुरू होकर पाँच मार्च तक टीबी सक्रिय रोगी खोज (एसीएफ) अभियान चलाया जाएगा| इस अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग जनपद की 23 लाख की जनसंख्या पर 4.5 लाख लोगों के घर-घर पहुंचेगा और उनमें टीबी रोगियों को खोजने का कार्य किया जाएगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाई के राय ने दी|जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिले में 20 फरवरी से शुरू होकर 5 मार्च तक एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जा रहा है| अभियान को सफल एवं स्वास्थ्य विभाग टीम हर घर पहुंच सकें इसके लिए सभी तैयारियां की जा चुकी है जिससे टीबी के रोगी को खोज कर उनका इलाज शुरू किया जा सके| इसके लिए 157 टीम बनायी गयी है जिसमें दो आशा और एक कार्यकर्ता हैं| उन्होंने जनसहयोग के लिए अपील की कि टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग टीम घर-घर जा रहे लोग लक्षण युक्त की पहचान करने में आगे बढ़ कर मदद करें और टीबी रोगियों को चिह्नित करवाएं| इसके साथ ही टीम लोगों को जागरूक करेंगे कि टीबी मरीज के साथ रहने से नहीं होती बल्कि उसके खांसी, छींक, खून व बलगम के संक्रमण से होती है| इसलिए अगर कोई व्यक्ति को शाम के समय बुखार और ख़ासी और बलगम में खून आ रहा है तो मुंह पर रूमाल रख कर खासे, बलगम को राख या मिट्टी में ही फेंके| घर में इधर- उधर कहीं भी बलगम को न फेंके| नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर तुरंत टीबी की जांच व इलाज शुरू कराएं| घर में एक टीबी संक्रमित मरीज परिवार के सभी सदस्य को प्रभावित कर सकता है| जिला समन्वयक पूजा राय ने बताया कि एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के लिए विस्तृत माइक्रोप्लान तहत 157 टीम टीबी मरीज खोजेंगी जिसमें शहरी एवं ग्रामीण मलिन बस्ती, अनाथालय, वृद्धाश्रम, मदरसा, नवोदय विधालय, सब्जी एवं फल मंडी, लेबर मार्केट, निर्माणाधीन स्थल, ईट-भट्टे एवं साप्ताहिक बाजार आदि पर भ्रमण कर क्षय रोगी खोजे जाएंगे | 12 दिनों तक चलने वाले इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग की टीम ज्यादा से ज्यादा परिवारों के बीच पहुंचेगे और टीबी मरीज खोज कर उन्हें जांच व उपचार के लिए चिन्हित करेगी |इलाज के दौरान पोषण के लिए मिलता है पैसा – एक्टिव केस फाइंडिंग के तहत जो टीबी मरीज चिह्नित किए जाते हैं, उन्हें सबसे पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाता है| सभी जांच की सुविधा नि:शुल्क दी जाती है| टीबी की पुष्टि होने पर इलाज शुरू किया जाता है| साथ ही मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए उनके खाते में 500 रूपये प्रतिमाह भेजे जाते हैं|