फाइलेरिया की गंभीरता को समझें लोग, आगे बढ़कर खाएं दवा : सीएमओ

बांदा। फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर शुक्रवार को एक होटल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सेंटर फॉर एडवोकेसी एण्ड रिसर्च (सीफार), पाथ व पीसीआई संस्था के सहयोग से मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर फाइलेरिया के प्रति आम जन को जागरूक करने में मीडिया से सहयोग की अपेक्षा की गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस बीमारी की गंभीरता पर अपनी बात रखी और सभी से दवा सेवन की अपील की। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और मीडिया कर्मियों ने दवा का सेवन किया।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.एके श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि 10 से 27 फरवरी तक चलने वाले सर्वजन दवा सेवन अभियान के दौरान विभागीय टीमें घर-घर जाकर लोगों को दवा का सेवन कराएंगी। दो साल से ऊपर के सभी लोगों को दवा खानी है। गंभीर रोगी, गर्भवती महिलाएं और दो साल से कम उम्र के बच्चों को दवा नहीं खानी है। उन्होंने बताया कि विभाग ने फाइलेरिया ग्रसित इलाकों के हरेक व्यक्ति को दवा खिलाने की तैयारी की है। लोगों को जागरूक करने पर जोर रहेगा ताकि लोग इस बीमारी की गंभीरता को समझे और स्वयं से आगे बढ़कर दवा का सेवन करें। वह स्वयं भी टीम के साथ फाइलेरिया ग्रसित पॉकेट्स में चल रहे अभियान की निगरानी करेंगे। उन्होंने बताया कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने की स्थिति में दवा खाने के बाद चक्कर, मितली या हल्का बुखार के साथ ही शरीर में चकत्ते की शिकायत हो सकती है, इससे घबराना नहीं है, यह लक्षण स्वतः ही दूर हो जाते है।कार्यशाला का संचालन कर रहे वेक्टर बोर्न डिसीज के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. मनोज कौशिक ने फाइलेरिया बीमारी के प्रत्येक बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया लाइलाज है और दवा खाने में ही भलाई है। अभियान के दौरान जनपद की 85 प्रतिशत आबादी को कवर करना है। उन्होंने बताया कि जनपद में फाइलेरिया के 1100 केस हैं। जिनमें हाथी पांव के 702 और 398 हाइड्रोसील के हैं। अब तक 155 हाइड्रोसील के आपरेशन कराए गए हैं और फाइलेरिया ग्रसित 545 मरीजों को एमएमडीपी किट का वितरण किया गया है। जिला मलेरिया अधिकारी पूजा अहिरवार ने बताया कि इस अभियान में नौ विभागों द्वारा सहयोग किया जा रहा है। कुल 1742 टीमें लगाई गई हैं। इनकी निगरानी 309 सुपरवाइजर कर रहे हैं। 1291 प्रशिक्षित आंगनबाड़ी लगाई गई हैं। ग्राम प्रधानों और कोटेदारों से भी सहयोग लिया जा रहा है। एक टीम प्रतिदिन 25 घरों में दवा खिलाएगी। दस दिन तक दवा खिलाने का कार्य चलेगा। सप्ताह में चार दिन दवा खिलाई जाएगी। दो दिन रिविजिट होगा। लखनऊ से आए पाथ स्टेट लीड डॉ.सचिन गुप्ते ने कहा कि दवा खाने से ही फाइलेरिया से बचा जा सकता है। दवा अच्छी क्वालिटी की है। दवा खाने से थोड़ा बहुत रियेक्शन शुभ संकेत है कि आपका ट्रीटमेंट हो रहा है। कार्यशाला में एसीएओ, आरसीएच डा. आरएन प्रसाद, एसीएमओ डा. अजय कुमार, डिप्टी सीएमओ डा. पीएन यादव, डीपीएम कुशल यादव, प्रदीप कुमार, पाथ संस्था के डा. रविराज, डा. सिद्धार्थ दत्त, पीसीआई के जिला समन्वयक रामब्रजेश शर्मा, सीफार की स्टेट प्रोजेक्ट आफीसर सोनम राठौर, स्टेट प्रोजेक्ट एडमिन एसोसिएट राहुल आर्या, जिला समन्वयक सैय्यद इमरान अली आदि मौजूद रहे।