खागा/फतेहपुर। बालश्रम रोकने के लिये देश के अंदर केंद्रीय बाल कल्याण आयोग एवं प्रदेश में बाल आयोग का गठन होने के अलावा जनपदों में चाइल्ड लाइन एवं बाल कल्याण सोसायटी काम कर रही है। इसके बाद भी जनपद में बाल श्रम का होना जारी है। खागा कस्बा स्थित नवीन बस स्टॉप पर वेंडरों द्वारा छोटे-छोटे बच्चों से बसों में पानी की बोतलें, चाय, समोसे, पकौड़े के अलावा तमाम तरह की खाने पीने की चीजें बिकवाई जा रही हैं। रोडवेज बस स्टॉप के अंदर इस तरह के बालश्रम का नजारा दिनों के अलावा देर शाम तक देखा जा सकता है।कानपुर व प्रयागराज जनपद से आने वाली बसे जैसे ही बस स्टॉप पर पहुंचती हैं मासूम बच्चों की टोली स्टॉप पर रुकने वाली बसों मे पहुंचकर अपनी अपनी वस्तुओं को बेचने के लिये आवाजे लगाना शुरू कर देते हैं। वेंडर का काम कर रहे अधिकतर बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं जो बालश्रम कानून व बाल अधिकारों के बारे में लिखी इबारत से अनजान है। वहीं इन बच्चों से काम कराने वाले वेंडर इनकी मजबूरी भी जानते हैं इसलिये कम कीमत देकर इनसे काम करवाते हैं। बालश्रम करने वाले बच्चों में छह वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के बच्चे होते हैं जिन्हें हर रोज यात्रियों को पानी की बोतलें चाय, समोसा लेने के लिये आवाजे लगाते देखा जा सकता है। हैरत की बात यह है कि खुलेआम बाल श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए दुकानदारों पर किसी भी जिम्मेदारों की नजर तक नहीं पड़ती जबकि बस स्टॉप से चंद मीटर दूर ही नगर की कोतवाली व पुलिस चैकी है। बाल कल्याण के लिये एवं बेघर बच्चों के पुनर्वास के लिये केंद्र सरकार व राज्य सरकार के द्वारा भारी भरकम बजट खर्च किया जाता है। इसके बाद नाबालिग बच्चों से बस स्टॉप एवं हाइवे किनारे स्थित होटलों एवं ढाबों पर काम कराने के नाम पर उनका शोषण किया जाना जारी है। बालश्रम को लेकर प्रदेश सरकार बेहद गंभीर है। योगी सरकार द्वारा बच्चों के लिये 1098 की हेल्पलाइन भी जारी की गई है। इसके बाद भी श्रम विभाग व स्थानीय पुलिस कर्मियों की मिलीभगत से जनपद में बालश्रम लगातार जारी है। अफसरों की नाक के नीचे बालश्रम का होना सरकार की मंशा को धता बताकर इज वेल की रिपोर्ट भेजकर मासूमों का बचपन छीनने का काम कर रहे हैं।
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