विकृत चिंतन से संकट में पड़ता है जीवन, बचाता है योग

बांदा। मंडल कारागार में बंदियों को तनाव मुक्त रखने और शांत मन और सकारात्मक सोंच बरकरार रखने के क्रम में योगाचार्य रमेश सिंह राजपूत के द्वारा योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है। योग शिविर में योगासन, प्राणायाम और ध्यान कराया जा रहा है। योगाचार्य ने बताया कि तनावग्रस्त और अशांत मन हिंसा को जन्म देते हैं। योग उसे प्राकृतिक आनंद और शांति से जोड़ देता है। शत्रुता का भाव कम कर देता है। ध्यान योग से मन शांत, एकाग्र होकर उत्साह से भर जाता है। योगाचार्य ने बताया कि हमने चारों धामों के नाम सुने होंगे। कारागार एक पांचवा धाम है। योग हमें समय, स्थान और परिस्थितियों के अनुसार अपना समायोजन करना सिखाता है। बताया कि अपराध बोध, क्रोध, दोष, चिंता, हताशा और निराशा नकारात्मक सोच से डूबे जीवन को योग सहारा बनकर उमंग विश्वास और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है। संघर्ष और दुख से मुक्त कराकर आनंदमय कोश के स्रोत से जोड़ देता है। जेल सजा काटने के लिए नहीं बल्कि बेहतर व्यक्ति बनने का सुंदर अवसर है। योग दैहिक, दैविक, भौतिक त्रिविध तापों से मुक्त होने के लिए एक परम औषधि है। बंदियों को संबोधित करते हुए कहा गया कि जेल अधिकारी और स्टाफ बंदियों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा कि योग एक घुट्टी की तरह है। योगाचार्य रमेशचंद्र पटेल ने योग आधारित जीवन शैली और खान पान, रहन सहन पर वृहद चर्चा करते हुए बंदियों को उठना, बैठना और लेटना सिखाया। योगाचार्य कैलाशचंद्र द्विवेदी ने बंदियों की योग मुद्राओं को सही कराते हुए सही योग करने की सलाह दी। प्रभारी जेल अधीक्षक वीरेंद्र कुमार वर्मा ने बंदियों को योग स्थल पर समय से आने और प्रत्येक क्रिया को ठीक तरह से समझने और उसका अभ्यास करने के लिए सभी को प्रेरित किया। कहा कि योग संबंध किसी धर्म विशेष से नहीं है, बल्कि योग केवल आपके मन और शरीर से संबंधित है। उन्होंने कहा कि योग टीम के सभी योगाचार्यो को सम्मानित करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि विश्व योग सेवा ने निशुल्क शिविर के द्वारा हम सभी को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया है। सभी योगाचार्यों को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया। समापन में बंदियों सहित डिप्टी जेलर महेंद्र सिंह व नरेंद्र कुमार प्रदीप मिश्र उपस्थित रहे।