फतेहपुर। समाज कल्याण कार्यालय में शुक्रवार को जमकर हंगाम हुआ। लेखाकार ने अफसर रिश्वत का आरोप लगाते हुए केबिन में बंद करके दस्तावेजों में हस्ताक्षर करने का दबाव बनाता रहा। मामला मीडिया के संज्ञान में आते ही हंगामा मच गया। कार्यालय के स्टाफ अफसर को छुड़ाने के लिये केबिन का दरवाजा खटखटाते रहे लेकिन दरवाजा को अंदर से बंद करने वाला अकॉन्टेन्ट दस्तावेजों में हस्ताक्षर होने के बाद दरवाजा खोलने की बात पर अड़ा रहा। बताते हैं कि हंगामे के दौरान समाज कल्याण अधिकारी का मोबाइल भी लेखाकार ने छीनने का आरोप है। काफी देर हाई बोल्टेज ड्रामे के बाद कलक्ट्रेट पुलिस चैकी के कर्मियों ने किसी तरह लेखाकार को समझाकर दरवाजा खुलवाया। इस दौरान लेखाकार कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराने में कामयाब भी हो गया।शुक्रवार को रोज की तरह समाज कल्याण अधिकारी अवनीश कुमार यादव समेत विभाग में सभी कर्मी दफ्तर पहुँचे और कार्य करने लगे। इस दौरान विभाग के लेखाकार एवं आन्तरिक लेखा परीक्षक राजू कुमार सोनकर ने समाज कल्याण अधिकारी के केबिन में जाकर रिश्वत मांगने व सरकारी प्रपत्रों में हस्ताक्षर करने में आनाकानी करने का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया और देखते ही देखते अफसर की केबिन का दरवाजा बंद कर उन्हें बंधक बना लिया और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये बिना बाहर जाने से रोक दिया। अफसर को केबिन में बंद रखने व स्टाफ के अन्य लोगों को अंदर आने से रोकने के लिये कमरे में रखी अलमारी को गिरा कर दरवाजे को ब्लाक कर दिया। अफसर के साथ अभद्रता के दौरान कर्मचारियों ने रोकने व मनाने की कोशिश की। नाकाम रहने पर कलक्ट्रेट स्थित पुलिस चैकी को सूचना दी। हंगामे की जानकारी मिलते ही कोतवाली पुलिस व जिला प्रशासन को हुई तो मौके एसडीएम सदर व अन्य अधिकारी के साथ फोर्स पहुँची। इस दौरान लेखाकार ने समाज कल्याण अधिकारी पर रिश्वत के संगीन आरोप लगाते हुए बताया कि समाज कल्याण अधिकारी द्वारा पिछले कई महीनों से बिलों व बाउचरों पर साईन नहीं किया, जब भी वो साईन के लिए जाता कोई न कोई बहाना बनाकर उसे टरका देते हैं। बाबू के अनुसार वृद्धाश्रम के बिल और सफाई कर्मियों का छह महीने का भुगतान पड़ा हुआ था। कैश बुकों में साइन समेत जरुरी काम को नहीं कर रहे थे। उधर बाबू का कहना है कि ठेकेदारों के काम बंद कमरे में तुरंत हो जाते है लेकिन विभाग के जरुरी काम के लिए कई महीनों से टरकाया जा रहा था। कई बार कहने के बाद भी जब उन्होंने नहीं सुना तो आज इसे इस तरह का रास्ता अपनाने को मजबूर होना पड़ा।
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