पेरेंटस को इन टॉपिक्‍स पर बताना चा‎हिए बच्चों को

नई दिल्ली। सेक्‍स, पीरियड्स, मेंटल हेल्‍थ, ड्रग्‍स या शराब, ये कुछ ऐसे टॉपिक्‍स हैं जिनके बारे में पहले पैरेंट्स को बच्‍चों को बताना चाहिए। इस बात में कोई शक नहीं है कि आजकल के बच्‍चे पहले से ज्‍यादा स्‍मार्ट हो गए हैं लेकिन फिर भी पैरेंट्स को बच्‍चों को सही तरीके से इन चीजों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। आपको अपने टीनएज बच्‍चे से यहां बताए गए कुछ टॉपिक्‍स पर बात कर लेनी चाहिए वरना वो इंटरनेट, वीडियो या फिर किसी और गलत जरिए से ये सब नॉलेज लेने की कोशिश करेगा।
लेख में बताया है कि बच्‍चे की उम्र के आधार पर पैरेंट्स को सेक्‍स, मासिक चक्र, फिजिकल अट्रैक्‍शन, गुड और बैड टच के बारे में बात करनी चाहिए। इससे बच्‍चों के साथ पैरेंट्स का फ्रेंडली रिलेशनशिप बनने में मदद मिलती है। अगर आप ऐसा करते हैं, तो बच्‍चे को अपने मन में दबे किसी भी सवाल का जवाब पूछने में हिचक महसूस नहीं होगी।हम सभी जानते हैं कि प्‍यूबर्टी एज में लड़के और लड़कियों दोनों में ही शारीरिक बदलाव आते हैं। लड़कियों में ये बदलाव कुछ ज्‍यादा होते हैं और कई बार वो इनकी वजह डर भी जाती हैं। अगर मांएं पहले से ही अपनी बेटी को इन बदलावों के बारे में बताकर रखेंगी, तो इसका गलत असर बेटी के नाजुक मन पर नहीं पड़ेगा। वो इसे सही और गलत की बजाय प्रकृति का नियम मानेंगी।प्‍यूबर्टी में बच्‍चे को अपनी खुद की सेक्‍सुएलिटी के बारे में भी पता चलता है। ऐसे में उसे पता होना चाहिए कि उसके शरीर में आ रहे बदलाव पूरी तरह से नॉर्मल हैं।सिगरेट और शराब से आप अपने बच्‍चों को कितना ही दूर रखने की को‍शिश कर लीजिए लेकिन कभी न कभी वो इनके संपर्क में ही आ जाएगा। इससे पहले कि वो इन चीजों की लत में पड़ जाए, आप ही उसका दोस्‍त बनकर उसे सही और गलत की समझ दें। आप उसे बताएं कि शराब और सिगरेट बच्‍चों के लिए नहीं होती है साथ ही उन्‍हें इससे होने वाले नुकसानों के बारे में भी बताएं। बच्‍चे अपने जीवन में आए उतार-चढ़ावों और सफलता और असफलता को किस तरह हैंडल करते हैं, ये पूरी तरह से उनकी परवरिश पर निर्भर करता है। स्‍कूल में नंबर कम आए हों, दिल टूटा हो या कोई रिजेक्‍शन मिला हो, जिंदगी के प्रति वो क्‍या नजरिया रखता है, ये सब उसकी परवरिश पर निर्भर करता है।मालूम हो कि भारत में आज भी पैरेंट्स और बच्‍चों के बीच एक अनकहा-सा पर्दा है। हम साथ बैठकर सिर्फ फैमिली मूवी ही देखते हैं और जैसे ही टीवी पर कोई रोमांटिक सीन आता है, तो हम इधर-उधर देखने लगते हैं। वहीं अगर घर में टीनएज बच्‍चा हो, तो उसे इन सब चीजों के बारे में पहले से ही आइडिया होने लगता है और वो सेक्‍स और कंडोम को लेकर काफी विचार अपने दिमाग में बना लेता है। टीवी पर उसने जो कुछ भी देखा, उसके बारे में वो स्‍कूल जाकर अपने दोस्‍तों से बात जरूर करता है। बच्‍चे टीनएज में सेक्‍स और इस तरह की जुड़ी जानकारियां या तो इंटरनेट से लेते हैं या फिर अपने दोस्‍तों की कहानियों से।