अध्यापकों को मौखिक और लिखित भाषाओं के प्रति सजग रहना होगा:आचार्य पं० पृथ्वीनाथ

प्रयागराज।दुर्गापुर पश्चिम बंगाल-प्रक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रशिक्षण-केन्द्र-द्वारा क्षमता-संवद्र्धन प्रशिक्षण-कार्यक्रम में व्याकरण का संज्ञान कराने के लिए डी० ए० वी० मॉडल स्कूल के बीस विद्यालयों की अध्यापक- अध्यापिकाओं को भाषाविद्-भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने गत दिवस आन्तर्जालिक शब्दानुशासन-कर्मशाला के अन्तर्गत उच्चारण और लेखनगत अशुद्धियों को कारणसहित शुद्ध बताया, समझाया तथा लिखाया।ध्वनिसम्प्रदाय, वर्ण, शब्दभेद, भाषा, कारक, उपसर्ग, प्रत्यय, अनुस्वार-अनुनासिक, वर्तनी/अक्षरी, विरामचिह्न, वाक्य-विन्यास आदिक को बहुविध समझाया। आचार्य पं० पाण्डेय ने अध्यापक-अध्यापिकाओं को उन शब्द-प्रयोगों के प्रति सजग किया, जिनके दैनिक प्रयोग में लगातार अशुद्ध रूप दिखते आ रहे हैं। व्यंजन और स्वर के व्यवहार में जो लेखनदोष व्याकरण की पुस्तकों में दिख रहे हैं, उनके प्रति भी ध्यानाकर्षण किया था। आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने श, ष, स, च्छ, क्ष, ब, व, रि-ऋ, यी-ई, ये-ए, यें-एँ-एं आदिक में किये जा रहे अशुद्ध प्रयोगों के शुद्ध रूप बताये-समझाये थे।संचालन हिन्दीविभागाध्यक्ष पंकज दुबे ने किया। यह आयोजन सह-क्षेत्रीय अधिकारी और प्राचार्य पापिया मुखर्जी के संरक्षण में किया गया था। उक्त कर्मशाला में एम० पी० शर्मा, सुमिता सिंह, राजकुमार दुबे, बृजकिशोर दुबे, कमलेश्वर चौबे, कुमारी, आर्या, शाश्वती सेन गुप्ता, रवीन्द्रनाथ चतुर्वेदी, अरविन्द तिवारी आदिक प्राचार्य, अध्यापक-अध्यापिकाओं की उपस्थित थी। वे सभी शुद्ध भाषाप्रयोग के प्रति अति जागरूक और जानने-सीखने के प्रति उत्सुक और उत्कण्ठित दिख रहे थे।