मोटे बच्चों में डायबिटीज का खतरा बढ़ा

डायबिटीज मेलिटस बेहद गंभीर मैटाबोलिक विकार है जिसके चलते शरीर में शुगर यानी काबोर्हाइड्रेट का अपघटन सामान्य रूप से नहीं होता। इसका बुरा असर दिल खून की वाहिकाओं किडनी और न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर पड़ सकता है। इसमें देखने की क्षमता भी जा सकती है। मधुमेह के दो मुख्य प्रकार हैं -टाईप 1 और टाईप 2 दोनों तरह का मधुमेह किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन बच्चों में टाईप 1 मधुमेह की संभावना अधिक होती है।बच्चों को आम तौर पर थकान सिर में दर्द ज्यादा प्यास लगने ज्यादा भूख लगने व्यवहार में बदलाव पेट में दर्द बेवजह वजन कम होने खासतौर पर रात के समय बार-बार पेशाब आने यौन अंगों के आस-पास खुजली होने पर उनमें मधुमेह के लक्षणों को पहचाना जा सकता है। बच्चों में टाईप 1 डायबिटीज के लक्षण कुछ ही सप्ताहों में तेजी से बढ़ जाते हैं। टाईप 2 मधुमेह के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कई मामलों में महीनों या सालों तक इनका निदान नहीं हो पाता।मधुमेह से पीड़ित बच्चों को इंसुलिन थेरेपी दी जाती है। अक्सर निदान के पहले साल में बच्चे को इंसुलिन की कम खुराक दी जाती है। आमतौर पर बहुत छोटे बच्चों को रात में इंजेक्शन नहीं दिए जाते लेकिन उम्र बढ़ने के साथ रात को इंसुलिन शुरू किया जाता है।मोटे बच्चों में टाईप 2 मधुमेह की संभावना अधिक होती है। गतिहीन जीवनशैली के कारण शरीर इंसुलिन और रक्तचाप पर नियन्त्रण नहीं रख पाता। बच्चों को चीनी से युक्त खाद्य एवं पेय पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करने दें। ज्यादा चीनी से बने खाद्य पदार्थों के सेवन ने वजन बढ़ता है जो शरीर में इंसुलिन स्तर के लिए खतरनाक है। विटामिन और फाईबर से युक्त संतुलित पोषक आहार के सेवन से टाईप 2 डायबिटीज की संभावना को घटाया जा सकता है।