नई दिल्ली। देश की प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस ने हाल ही में 40 साल पूरे किए है। कंपनी के फाउंडर नारायण मूर्ति ने अपनी कंपनी इंफोसिस को बड़ी मेहनत से खड़ा किया है। दोस्तों के साथ मिलकर पत्नी से 10 रुपए उधार लेकर उन्होंने इस कंपनी की नींव रखी थी। इंफोसिस में काम के दिनों को याद करते हुए एक साक्षात्कार के दौरान नारायण मूर्ति ने कहा कि वो समय के महत्व को समझते हैं इसलिए ऑफिस आने के लिए उन्होंने खास समय तय किया था। एक साक्षात्कार के दौरान नारायण मूर्ति ने कहा कि वो समय की कीमत को समझते थे और दूसरों के सामने भी उदाहरण पेश करना चाहते थे इसलिए हर दिन सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर इंफोसिस के ऑफिस पहुंच जाते थे। साक्षात्कार में मूर्ति से उनके इंफोसिस के दिनों के बारे में याद दिलाते हुए सवाल किया कि हर सुबह 7 बजे ऑफ ऑफिस पहुंचते थे। मूर्ति ने उन्हें सही करते हुए कहा कि 7 नहीं बल्कि हर दिन बिना किसी देरी के मैं सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर इंफोसिस के ऑफिस पहुंच जाता था और रात के 8 से 9 बजे तक काम करता था। उन्होंने कहा कि मैं दूसरों के सामने काम और समय को लेकर उदाहरण पेश करना चाहता था। उन्होंने कहा कि काम शुरू करने से लेकर साल 2011 में रिटायरमेंट तक मैं हर सुबह 6:20 बजे इंफोसिस के ऑफिस पहुंचता था। मेरे इस व्यवहार के बाद ऑफिस के युवा कर्मचारी भी समय पर ऑफिस आने लगे। इंफोसिस को खड़ा करने में मैंने अपना पूरा समय दिया लेकिन मुझे इस बात का अफसोस हैं कि मैं अपने बच्चों को समय नहीं दे सका। उन्होंने कहा कि मैंने इंफोसिस को खड़ा करने के लिए बहुत से त्याग किए हैं। मैं ऑफिस के कामों में इतना व्यस्त हो जाता था कि अपने दोनों बच्चों रोहत और अक्षता के साथ समय नहीं बिता पाता था। मेरी पत्नी सुधा ने बच्चों की पूरी जिम्मेदारी निभाई। उनकी देखभाल से लेकर पढ़ाई-लिखाई और उनके करियर सबका का ध्यान सुधा ने ही रखा। उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा ये बात खलती हैं कि मैं अपने बच्चों को अपना पूरा वक्त नहीं दे सका।
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