
जौनपुर। वैसे तो गुड़ खाने में जितना स्वादिष्ट होता है। उससे अधिक उसकी मन मोहने वाली खुशबू होती है जो इसे बनाते समय फिजाओं में दूर तक फैलकर अपनी मिठास का एहसास करा देती है। जनपद में बदलते समय के साथ गन्ने की खेती का दायरा पिछले दशकों की तुलना में घट गया है। विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी के किसान प्रेमचंद प्रजापति इसके सम्बन्ध में दो बातों को जिम्मेदार मानते हैं पहला भदोही जनपद की औराई चीनी मिल का पिछले कई वर्षाे से बन्द पड़ा होना क्योंकि मछलीशहर तहसील क्षेत्र से काफी गन्ना एक समय में इसी मिल को जाया करता था। दूसरा गन्ने की खेती और गुड़ बनाने का कार्य काफी श्रमसाध्य है जिससे आज की युवा पीढ़ी दूर भागती है। फिलहाल आज भी जो थोड़ी बहुत गन्ने की खेती होती है जैसे जैसे मकर संक्रांति करीब आती जा रही है लोग लेडुआ, ढूंढ़ी,पिटिउरा, तिलवा बनाने की जुगत में लग गए हैं। गुड़ और खांडसारी बनाते समय जैसे ही गुड़ की खुशबू फिजाओं में फैलती है ग्रामीण इलाकों के बच्चे चिनगा खाने के लिए भट्टी के आस पास इकट्ठा होना शुरू हो जाते हैं। विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी का है जिसमें बच्चे चिनगे की लालच में भट्टी को घेरे हुए हैं। वैसे तो बाहर से आने वाला गुड़ पूरे साल दुकानों पर बिकता रहता है लेकिन ताजे और देशी गुड़ को लोग कुछ ज्यादा ही तरजीह देते हैं जिस कारण इसका दाम बाजार के गुड़ की तुलना में ज्यादा ही रहता है।