नई दिल्ली। तुलसी के पौधे को वैसे तो धार्मिक कारणों से कई घरों में स्थान दिया जाता है लेकिन यह घर के सेहत को बनाए रखने में भी काफी सहायक है। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि अगर इसे उबालकर इसके पानी का सेवन किया जाए तो इसका गुण कई गुना बढ़ जाता है। अगर आप सुबह के समय गर्म पानी या चाय पीना पसंद करते हैं या नींबू पानी का सेवन करते हैं तो बता दें कि अगर आप तुलसी के पत्तों का पानी का सेवन करें तो यह सेहत को काफी फायदा पहुंचा सकता है। तो आइए जानते हैं तुलसी वॉटर के अन्य फायदे क्या क्या हैं और इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है।तुलसी के पत्तों का पानी पीने से कई फायदे हैं। तुलसी के इस पानी को पीने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है जिसकी वजह से कार्ब्स और फैट को बर्न करना आसान हो जाता है। इससे आपके खून में मौजूद शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। इन सब गुणों की वजह से डायबिटीज पेशेंट बेहतर तरीके से अपना शुगर कंट्रोल रख सकते हें । आजकल की जीवन शैली में स्ट्रेस से हर कोई जूझ रहा है। यह स्ट्रेस आगे चलकर कई गंभीर बीमारियों की वजह बनता है। ऐसे में अगर आप तुलसी के पत्तों का उपयोग गर्म पीने में उबालकर सेवन करें तो आपको स्ट्रेस से राहत मिल सकती है। बता दें कि तुलसी में मौजूद तत्व कॉर्टिसोल हार्मोन को संतुलित करता है जो स्ट्रेस का मुख्य कारण है। आज हर दूसरा इंसान वेट बढ़ने की वजह से परेशान है, बढ़ते वजन से न केवल व्यक्ति को बीमारियां जकड़ लेती है बल्कि इंसान तनाव में भी रहने लगता है। तुलसी के पत्तों का उपयोग इस समस्या से भी आपको राहत दिला सकती है। तुलसी के पत्तों में कई ऐसे गुण होते हैं जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाते है और बदहजमी, गैस आदि को दूर करते हैं। इसके सेवन से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है। तुलसी के पत्तों में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एक्सपोट्रेंट प्रॉपर्टीज होती हैं जो आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम का ख्याल रखती है और सांस संबंधित समस्याओं को दूर करती है।
तुलसी के पत्तों का पानी बनाने के लिए एक पैन में एक ग्लास पानी डालें और इसे उबलने दें। अब इसमें कुछ तुलसी के पत्ते डालें और इस पानी को तब तक उबलने दें जब तक पानी आधा न हो जाए। गैस बंद कर दें और इसे छान लें। अब इसमें शहद डालकर इसका सेवन करें। तुलसी ना केवल सर्दी खांसी को दूर रखता है बल्कि ये हमारी इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाकर कई बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। इसका प्रयोग आयुर्वेद में तो सदियों से होता आया है।