लखनऊ । उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रैकेट के पर्दाफाश के बाद यूपी पुलिस की खुफिया रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे हुए हैं और बताया गया है कि नोएडा डेफ सोसायटी में पढ़ने वाले 12-15 मूक-बधिर युवकों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया गया। पूछताछ में पता चला है कि इस रैकेट के जरिए बहरे और गूंगे युवाओं को टारगेट किया जा रहा था। रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि इस्लामिक दवाह सेंटर को संयुक्त राज्य अमेरिका, कतर, कुवैत आदि में स्थित गैर सरकारी संगठनों से विदेशी फंडिंग का संदेह है। धन को फातिमा चैरिटेबल फाउंडेशन (दिल्ली), लखनऊ की अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन सहित कई भारत-आधारित एफसीआरए पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से आईडीसी में भेजा जाता है। इसमें मेवात ट्रस्ट फॉर एजुकेशनल वेलफेयर (फरीदाबाद), मरकजुल मारीफ (मुंबई) और ह्यूमन सॉलिडेरिटी फाउंडेशन (दिल्ली) भी शामिल हैं। उमर गौतम ने एआईयूडीएफ के सांसद बदरुद्दीन अजमल द्वारा फंडिंग होने का भी दावा किया है।रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में देशभर में 60 से अधिक इस्लामिक दवाह सेंटर चलाए जा रहे हैं. इनके मेन टारगेट पर यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र हैं। दवाह के नाम से कट्टरपंथी और कट्टरपंथी संगठनों द्वारा धर्म परिवर्तन जैसी गतिविधियां चलाई जा रही हैं, जिसे साइलेंट जिहाद का नाम दिया गया है। उमर गौतम का दिल्ली के ग्लोबल पीस सेंटर के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। जिसे मौलाना कलीम सिद्दीकी द्वारा संचालित किया जाता है। वह विशेष रूप से मेवात क्षेत्र में धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में अनुवादक के रूप में कार्यरत इरफान शेख आईडीसी को जरूरतमंद मूक-बधिर युवाओं और महिलाओं की डिटेल मुहैया करवा रहा था, जिन्हें आर्थिक मदद देकर धर्मांतरण के लिए टारगेट किया जाता था। आईडीसी का कतर स्थित सलाफी उपदेशक डॉ बिलाल फिलिप्स द्वारा स्थापित इस्लामिक ऑनलाइन विश्वविद्यालय के साथ संबंध हैं, जो जाकिर नाइक के सहयोगी हैं।
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