जौनपुर। कर्बला में जो कुर्बानी इमाम हुसैन ने दी आज उसी की वजह से इस्लाम दुनिया में बाकी है, क्योंकि इस जंग में एक तरफ दुश्मने मोहम्मद थे और दूसरी तरफ उनका नवासा। दुश्मन सब खत्म हो गये आज उनका कोई नाम लेने वाला नहीं है जबकि मोहम्मद और उनकी आल का नाम आज भी बाकी है। जिसका वादा अल्लाह ने सूरए कौसर में किया था। उक्त बातें मौलाना सैयद जावेद आब्दी ने नगर के बलुआघाट स्थित मेंहदी वाली जमीन पर आयोजित मजलिसे बरसी को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने मोहम्मद से वादा किया था कि तुम्हारे सभी दुश्मन खत्म कर दिये जायेगें उनका नाम लेने वाला कोई नहीं रहेगा और हुसैन अ.स.की कुर्बानी के बाद ऐसा ही हुआ। उन्होंने कहा कि कुर्बानी का मतलब किसी जानवर की गरदन पर छुरी चलाने का नाम नहीं है बल्कि ईश्वर की राह में सब कुछ कुर्बान कर देने का नाम ही असल में कुर्बानी है और यह कुर्बानी सिर्फ फातमा के घर वालों ने दी है। उन्होंने कहा कि यह घर अल्लाह के कितना करीब है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अल्लाह ने अपने सभी सिफात को इसी घर से मंसूब किया और महमूदियत की पहचान मोहम्मद, आला की पहचान अली, फातिर होने की पहचान फातमा, मोहसिन होने की पहचान हसन और एहसान करने का सिफात हुसैन को अता किया। इस्लाम में चार शादियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुरआन में इस संबंध में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर तुम्हारे अंदर ताकत है और तुम अदल व इंसाफ कर सकते हो तो चार शादियां जायज हैं लेकिन हर आदमी चाहे वह करोड़पति ही क्यों न हो उसके लिए चार शादियां जायज नहीं है और न ही शौकिया तौर पर कुरआन ने शादियों का हुक्म दिया है। अदल का विस्तार करते हुए उन्होंने कहा कि अगर जरा सा भी इधर से उधर हुआ तो आदमी आदिल के बजाय जालिम बन जाता है इसलिए अदल नहीं कर सकते तो चार शादियां भी नहीं कर सकते। यही वजह है कि मोहम्मद साहब ने अपनी पहली पत्नी जनाबे खतीजा के रहते हुए दूसरी शादी नहीं की थी और हज़रत अली अ.स. ने भी जनाबे फातमा के हयात में दूसरी शादी न करके यह बता दिया कि शादियां उस वक्त तक ही जायज हैं जब तक सभी के साथ बराबर से इंसाफ हो सके। उन्होंने कहा कि हदीसे रसूल है कि जिसने फातमा को राजी किया उसने मोहम्मद को राजी किया और जिसने मोहम्मद को राजी किया उससे अल्लाह राज़ी हुआ। अंजुमन शमशीरे हैदरी के नौहेखा शहज़ादे सदर इमामबाड़ा ने दर्द भरे नौहा पेश किया। अंत में आयोजक सै. हसनैन कमर दीपूश् व सै.अफ़रोज़ क़मर ने आये हुए लोगों का आभार व्यक्त किया।
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