लखनऊ। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य उज्जवल है अधिकांश भारतीय ग्राहक – 57 प्रतिशत – इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) में निवेश करना चाहते हैं, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन अनेक व्यवहारिक फायदे प्रदान करते हैं, जबकि 56 प्रतिशत लोग इलेक्ट्रिक वाहन इसलिए खरीदना चाहते हैं क्योंकि वो पर्यावरण के लिए अच्छे होते हैं। ये आँकड़े भारत की टेक-फर्स्ट इंश्योरेंस कंपनी, एको और यूगॉव इंडिया द्वारा लॉन्च की गई लेटेस्ट रिपोर्ट में सामने आए हैं।इस रिपोर्ट में न्यू कंज्यूमर क्लासिफिकेशन सिस्टम ए एवं बी परिवारों के 28 से 40 साल की आयु समूह के 1018 उत्तरदाताओं के बीच सर्वेक्षण किया गया, जो या तो इलेक्ट्रिक वाहन के मालिक थे या अगले 12 महीनों में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना चाहते थे।जहाँ अधिकांश उत्तरदाता – 60 प्रतिशत – का मानना है कि भारत में मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर इलेक्ट्रिक वाहनों को सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं है, और इसमें भारी सुधार किए जाने की जरूरत है, लेकिन भविष्य को लेकर आशावादिता बहुत ज्यादा है। इस सर्वेक्षण में सामने आया कि 89 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि भारत में साल 2030 तक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा। 66 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल और डीजल कारों को पीछे छोड़ देंगे और लंबे समय में पैसे की बचत भी करेंगे।44 प्रतिशत उत्तरदाता इलेक्ट्रिक वाहन में इसलिए निवेश करना चाहते हैं क्योंकि वो इसके द्वारा मिलने वाला लचीलापन पसंद करते हैं। इसके अलावा, उनका यकीन है कि हाईब्रिड या पूर्ण इलेक्ट्रिक विकल्पों की उपलब्धता से उन्हें दोनों प्रकारों का सर्वश्रेष्ठ अनुभव मिल सकेगा।47 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है इलेक्ट्रिक वाहनों द्वारा पारंपरिक विकल्पों के मुकाबले प्रति किलोमीटर लागत में काफी कमी आती है। 56 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वो पर्यावरण की ओर हो रहे जिम्मेदार परिवर्तन का हिस्सा बनना चाहते हैं, और नई टेक्नॉलॉजी में दिलचस्पी रखते हैं।सबसे दिलचस्प बात यह है कि जब इलेक्ट्रिक वाहन के मालिकों की बात आती है, तो पर्यावरण के लिए अच्छा करने की जरूरत उन व्यवहारिकताओं पर हावी हो जाती है, जिन्हें वो प्राथमिकता देते हैं। उदाहरण के लिए 63 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन चुनना उनके कार्बन फुटप्रिंट कम करने के उनके प्रयासों का हिस्सा है।
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