उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक एवं औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल ‘नंदी’ ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ को सराहा

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड आडिटोरियम में आयोजित हो रहे ‘23वें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ में अपने विचार व्यक्त करते हुए उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक एवं औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल ‘नंदी’ ने सम्मेलन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए सी.एम.एस. संस्थापक व सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी को साधुवाद दिया। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में पधारे 57 देशों के न्यायविद्, कानूनविद् व अन्य प्रख्यात हस्तियों के सम्मान में रंगारंग ‘साँस्कृतिक संध्या’ का आयोजन आज सायं सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) आडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि ब्रजेश पाठक, उप-मुख्यमंत्री, उ.प्र. ने दीप प्रज्वलित कर ‘साँस्कृतिक संध्या’ का विधिवत् उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन पाठक ने कहा कि विश्व में एकता व शान्ति स्थापित करने एवं बच्चों की आवाज को बुलन्द करने का सी.एम.एस. का यह प्रयास बहुत ही प्रशंसनीय है।इससे पहले, सी.एम.एस. कानपुर रोड आडिटोरियम में सम्मेलन के चैथे दिन का उद्घाटन करते हुए प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल ‘नंदी’ ने कहा कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की विचारधारा से ही विश्व मानवता का कल्याण होगा। भारत की मूल विचारधारा ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पर आधारित है। हमारी इस प्राचीन एवं समृद्ध विरासत का अनुसरण करने में सारे विश्व की भलाई है। पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी न हो, ये भी सुनिश्चित करना है। विदित हो कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा 18 से 22 नवम्बर आयोजित किये जा रहे ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 23वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पार्लियामेन्ट के स्पीकर, न्यायमंत्री, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश समेत 57 देशों के 250 से अधिक मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् प्रतिभाग कर रहे हैं।प्रातःकालीन सत्र के प्लेनरी सेशन में बोलते हुए एंटीगुआ और बारबुडा के गवर्नर-जनरल सर राॅडनी एरे लाॅरेंस विलियम्स ने कहा कि हमें स्कूलों में एवं दुनिया में भी सहिष्णुता को बढावा देना होगा। हमें अपने अधिकारों व संस्कारों में विविधता को समझने की जरूरत है। सहिष्णुता से ही सद्भाव विकसित होगा। मेडागास्कर सुप्रीम कोर्ट की सीनियर जज न्यायमूर्ति सुश्री राबेटोकोटनी ताहिना ने विचारों की एकता को सुदृढ करने का आव्हान किया। उन्होने सुझाव दिया कि एक ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का निर्माण किया जाना चाहिए, जो कि बच्चों की भलाई के लिए काम करे। यह संस्था यह भी सुनिश्चित करे कि संस्थागत गतिरोध न उत्पन्न हो। कैमरून कान्स्टीट्यूशनल काउन्सिल के जज, न्यायमूर्ति जीन बैप्टिस्ट बास्कौडा ने कहा कि विश्व संसद सम्भव है लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय कानून के नियमों को सामाजिक मानदण्डों के रूप में परिवर्तित किया जाना चाहिए। कोस्टारिकन एसोसिएशन जजेज के प्रेसीडेन्ट, न्यायमूर्ति एड्रियाना ओरोकू चावरिया ने न्यायिक स्वतंत्रता की आवश्यकता एवं मानवाधिकारों के संरक्षण में न्यायालय की भूमिका के बारे में बोलते हुए कहा कि जजों को ‘रूल आफ लाॅ‘ को आगे बढाने का प्रयास करना चाहिए। कोस्टारिका सुप्रीम कोर्ट के जज, न्यायमूर्ति मिगुएल फर्नांडीज ने बच्चों में शांति की भावना विकसित करने के सी.एम.एस. के प्रयासों की सराहना की। उन्होने कहा कि सभी धर्म प्रेम की बात करते है और मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि सी.एम.एस. में प्रेम, सहिष्णुता व दूसरे धर्म के प्रति सम्मान की भावना के बीज प्रारम्भ से ही बोए जा रहे हैं। मोरक्को के र्कोट आफ काॅशेसन के वाइस प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति मोहम्मद नमिरी ने कहा कि एकता व शान्ति स्थापना के लिए सबसे जरूरी है कि मानव अधिकारों का पूरा सम्मान हो। तंजानिया के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति खामिस रमजानी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार सभी बच्चों को मिलना ही चाहिए। उन्हें सुरक्षित एवं सुखद वातावरण प्रदान करना हम वयस्क लोगों का कर्तव्य है, ये वो स्वयं से नहीं पा सकते।इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अन्तिम दिन आज विभिन्न देशों से पधारे न्यायविद, कानूनविद् व अन्य प्रख्यात हस्तियों में अलग-अलग पैरालल सेशन्स जैसे ‘क्रिएटिंग कल्चर फाॅर यूनिटी एण्ड पीस’, ‘इस्टेब्लिसिंग रूल आफ लाॅ’, ‘ह्यूमन राइट्स’, ‘ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर’, ‘टैकलिंग ग्लोबल इश्यूज’ एवं ‘सस्टेनबल डेवलपमेन्ट’ आदि विषयों पर विचार-विमर्श का दौर चला। ‘ह्यूमन राइट्स’ थीम के अन्तर्गत क्रिएटिंग अवेयरनेस फाॅर एण्ड प्रोटेक्शन आफ फण्डामेन्टल ह्यूमन राइट्स, वायलेन्स इन एण्ड अगेन्स्ट चिल्ड्रेन, राइट्स आॅफ चिल्ड्रेन एवं राइट्स आफ वोमेन एण्ड जेण्डर इक्वलिटी विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।इसी प्रकार ‘ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर’ थीम पर आयोजित पैरालल सेशन में यू.एन. रिफार्म – रिव्यू आफ द यू.एन. चार्टर, नीड फाॅर ए न्यू वल्र्ड आर्डर आन डेमोक्रेटिक लाइन्स, रिफार्म आफ ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर आदि विषयों पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा हुई तो वहीं दूसरी ओर ‘टैकलिंग ग्लोबल इश्यूज’ थीम के अन्तर्गत रीजनल एण्ड इण्टरनेशनल टेरोरिज्म, एथनिक एण्ड सिविल वार, न्यूक्लियर डिसआर्मामेन्ट एवं जेण्डर इक्वलिटी एण्ड इम्पावर्मेन्ट आफ वोमेन आदि विषयों पर चर्चा हुई।आज सम्पन्न हुए प्लेनरी सेशन्स एवं पैरालस सेशन्स में न्यायमूर्ति सुश्री एलियाना एल्डर अराउजो सांचेज़, जज, सुप्रीम कोर्ट, पेरू, न्यायमूर्ति आनंद कोएमर चरण, जज, सप्रीम कोर्ट, सूरीनाम, न्यायमूर्ति डा. जेन केबोनांग, जज, हाईकोर्ट, बोत्सवाना, न्यायमूर्ति अब्दुल अज़ीज़ मुस्लिम, जज, हाईकोर्ट, नेपाल, न्यायमूर्ति लार्बा यारगा, जज, कान्स्टीट्यूशन कोर्ट, बुर्किना फासो, न्यायमूर्ति सुश्री सेसिल मैरी ज़िनज़िंडोहौए, प्रेसीडेन्ट, हाई कोर्ट ऑफ़ जस्टिस, बेनिन, न्यायमूर्ति माटो अरलोविक, जज, न्स्टीट्यूशनल कोर्ट, क्रोएशिया, न्यायमूर्ति माइंट थेन, जज, सुप्रीम कोर्ट, म्यांमार, न्यायमूर्ति रशीद रज़ायेव, चीफ जस्टिस, अज़रबैजान, न्यायमूर्ति कमल कुमार, चीफ जस्टिस, फिजी, न्यायमूर्ति सुश्री वेरोनिक क्वोक, जज, सुप्रीम कोर्ट, मॉरीशस आदि कई न्यायविद् व कानूनवि ने अपने विचार व्यक्त किये।सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि दुनिया भर के न्यायविद् एवं कानूनविद् द्वारा |