वृहद डेटा विश्लेषण को कोर्स में शामिल किया जाए- प्रोफेसर राजेश सिंह

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में रजत जयंती वर्ष के अवसर पर विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन सोमवार को मुख्य अतिथि प्रोफेसर राजेश सिंह, कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर, विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव, कुलपति, शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर, बस्तर, छत्तीसगढ़ एवं मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने किया।इस अवसर पर कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रोफेसर राजेश सिंह, कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर ने कहा कि वर्तमान समय में सांख्यिकी की उपयोगिता को देखते हुए वृहद डेटा विश्लेषण को कोर्स में शामिल किया जाए। सांख्यिकीय टूल्स की उपयोगिता के बारे में बताते हुए प्रोफेसर सिंह ने कहा कि आज के समय में यूजीसी ने भी पीएचडी स्टूडेंट को भी जो 6 महीने का कंपलसरी कोर्स करा रही है उसमें भी रिसर्च मेथाडोलॉजी और कंप्यूटर एप्लीकेशन का कोर्स अनिवार्य करा दिया है।उन्होंने बताया कि रिसर्च मेथाडोलॉजी में प्रमुखता से विभिन्न सांख्यिकीय टूल्स की पढ़ाई एवं उपयोगिता पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि कुलपति रहते हुए उन्होंने पूर्णिया एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय में इसको लागू कराया। उन्होंने कहा कि वृहद रूप में उपलब्ध डेटा को विश्लेषित करने और उसको उपयोगी बनाने के लिए सांख्यिकीय टूल की आवश्यकता होती है।विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव, कुलपति, शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, जगदलपुर, बस्तर, छत्तीसगढ़ ने कहा कि सांख्यिकी में मुख्यतः दो तरह का डेटा उपलब्ध होता है। संरचनात्मक डेटा तथा बिखरा हुआ डेटा। उन्होंने इन दोनों की उपयोगिता बताते हुए इनके अध्ययन में सांख्यिकी की भूमिका पर  प्रकाश डाला। प्रोफेसर श्रीवास्तव ने वृहद डेटा विश्लेषण और उसकी सामाजिक, वैज्ञानिक एवं दिन-प्रतिदिन के कार्यों में सांख्यिकीय टूल की उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वृहद डेटा टेराबाइट्स में उपलब्ध होता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि बिना सांख्यिकी के प्रयोग के कोई शोध बहुत सफल नहीं हो पाता और न ही उसमें गुणवत्ता आ पाती है। उन्होंने रिसर्च कल्चर को स्कूल स्तर पर शुरू करने पर जोर दिया। प्रोफेसर सिंह ने प्रतिभागियों से कहा कि वह जो ज्ञान यहां पर अर्जित कर रहे हैं उसे अपने तक सीमित ना रखें बल्कि उसका उपयोग समाज की भलाई के लिए करें।प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत कार्यशाला के निदेशक प्रोफेसर आशुतोष गुप्ता ने किया। कार्यशाला के बारे में  संयोजक डॉ श्रुति ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि 5 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को 20 सत्रों में विभाजित किया गया है। जिसमें उद्घाटन एवं समापन सत्र के अतिरिक्त 18 एकेडमिक सत्र रखे गए हैं। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ गौरव संकल्प एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव प्रोफेसर पी पी दुबे ने किया।एकेडमिक सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय सांख्यिकी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अनूप चतुर्वेदी ने सांख्यिकी एवं शोध तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय की डॉ एकता वर्मा ने सेंपलिंग मैथड्स एंड टेक्निक्स इन रिसर्च पर व्याख्यान दिया।इस अवसर पर डॉ सुमिता सिंह,संयुक्त निदेशक, कृषि भवन, लखनऊ, प्रोफेसर नमिता श्रीवास्तव आगरा विश्वविद्यालय,  प्रोफेसर ए के मलिक, प्रोफेसर जे पी यादव, डॉ दिनेश कुमार गुप्ता आदि उपस्थित रहे। कार्यशाला में देश के 8 राज्यों महाराष्ट्र, झारखंड, नई दिल्ली, बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लगभग 70 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।पांच दिवसीय कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन के रूप में  15 नवंबर को प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश सिंह, बीएचयू एवं प्रोफेसर एस ए अंसारी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, 16 नवंबर को डॉ अनूप कुमार, एसजीपीजीआई, लखनऊ तथा डॉ अमित कुमार मिश्रा, बीबीएयू, लखनऊ, 17 नवंबर को डॉ अजहर अली खान, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तथा डॉ श्रुति एवं डॉ गौरव संकल्प यूपीआरटीओयू तथा 18 नवंबर को प्रथम सत्र में डॉ मनोज कुमार बलवंत यूपीआरटीओयू का व्याख्यान होगा।