अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

फतेहपुर। अल्पसंख्यक आयोग एक्ट व राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकार किये जाने पर गुरूवार को जिला कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपकर याचिका को निरस्त करने की मांग उठाई। कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के जिलाध्यक्ष बाबर खान की अगुवाई में पदाधिकारी कलेक्ट्रेट पहुंचे और याचिका के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपकर बताया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका को स्वीकार किया जाना अल्पसंख्यक समुदाय को मिले संवैधानिक अधिकारों व सुरक्षा को छीनने की कोशिश समान है। न्यायपालिका का एक हिस्सा आरएसएस से जुड़ा है। उनके द्वारा दायर प्राक्सी याचिकाएं स्वीकार कर सरकार के एजेंडा को कानूनी आवरण पहनाने का प्रयास किया जा रहा है। ज्ञापन में एनजीओ विनियोग परिवार ट्रस्ट की दायर याचिका में दिये गये तर्कों का भी उल्लेख किया। कहा कि जहां तक अल्पसंख्यक आयोग एक्ट और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन का सवाल है भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य है। जिसने 18 दिसंबर 1992 को अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण की घोषणा की थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग इसी घोषणा का वाहक है। ऐसे में इस याचिका का स्वीकार किया जाना न्यायिक विवेक के विपरीत तो है ही अल्पसंख्यक वर्गों में संदेह भी उत्पन्न करता है क्योंकि मौजूदा केंद्र सरकार जिस पार्टी द्वारा संचालित है उसने 1998 के चुनावी घोषणा पत्र में सत्ता में आने पर अल्पसंख्यक आयोग को खत्म कर देने का वादा किया था। कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति से मांग किया कि इस याचिका को निरस्त करने की प्रक्रिया संवैधानिक मूल्यों के आधार पर सुनिश्चित की जाये। इस मौके पर मुमताज अहमद सिद्दीकी, मो. आलम, आसिफ खान, मिस्बाउल हक, धर्मेंद्र पांडेय, संतोष कुमारी शुक्ला भी मौजूद रहे।